जानिये जॉर्जेस इवानोविच गुरजिएफ के अनमोल विचार
जॉर्ज इवानोविच गुरजिएफ, एक ऐसे संत और आध्यात्मिक शिक्षक थे जो 1877 से 1949 के बीच जीवित रहे। अर्मेनियाई मूल के इस रहस्यवादी को उनके शिष्य एक प्रबुद्ध गुरु मानते थे। उन्होंने जीवन को समझने और आत्मा को जागृत करने का एक अनोखा रास्ता दिखाया, जिसे उन्होंने "चौथा मार्ग" कहा। यह मार्ग तीन पारंपरिक तरीकों का एक अनूठा मिश्रण था—
मन का मार्ग: जो भिक्षुओं के लिए है,
भावना का मार्ग: जो फ़कीरों के लिए है, और
शरीर का मार्ग: जो योगियों के लिए है।
गुरजिएफ ने इस चौथे मार्ग को "कार्य" या "विधि" के रूप में प्रसिद्ध किया।
उनकी यात्रा और शिक्षण
गुरजिएफ ने अपने प्रारंभिक जीवन में एशिया के विभिन्न क्षेत्रों में यात्रा की और वहाँ के रहस्यों और आध्यात्मिक ज्ञान को समझा। इस अनुभव ने उन्हें अपने सिद्धांतों को गहराई से विकसित करने का अवसर दिया। 1912 में उन्होंने रूस में अपने विचारों को साझा करना शुरू किया और बाद में पेरिस में एक स्कूल स्थापित किया, जहाँ उन्होंने अपने चौथे मार्ग की शिक्षा दी। उनके स्कूल में नृत्य, स्व-अध्ययन, और आत्म-जागरूकता बढ़ाने की विधियाँ सिखाई जाती थीं।
गुरजिएफ की प्रमुख शिक्षाएँ
स्वयं का वास्तविक स्वरूप समझना:
मनुष्य दो पहलुओं से बना होता है—उसका सार (जो वह वास्तव में है) और उसका व्यक्तित्व (जो उसने जीवन के अनुभवों से अर्जित किया है)। बचपन में मनुष्य का सार शुद्ध होता है, लेकिन धीरे-धीरे व्यक्तित्व हावी हो जाता है। आत्म-निरीक्षण और ईमानदारी के माध्यम से, व्यक्ति इन दोनों को अलग करना सीख सकता है और अपने सार को विकसित कर सकता है।
'जागृत नींद' से बाहर निकलना:
गुरजिएफ ने कहा कि अधिकांश लोग अर्ध-सम्मोहन की स्थिति में जीवन जीते हैं, जिसे उन्होंने 'जागृत नींद' कहा। लेकिन स्व-अध्ययन और जागरूकता की तकनीकों के ज़रिए मनुष्य अपने भीतर उच्च चेतना और जागृति ला सकता है। यह अवस्था उसे "वही बनने" में मदद करती है जो वह वास्तव में होना चाहिए।
मानसिक केंद्रों का कुशल उपयोग:
उन्होंने सिखाया कि मनुष्य के भीतर सात मानसिक केंद्र होते हैं, जिनमें चार को प्रत्यक्ष रूप से समझा जा सकता है:
सहज केंद्र: शरीर की प्राकृतिक प्रक्रियाओं के लिए,
गतिशील केंद्र: शारीरिक गतिविधियों के लिए,
भावनात्मक केंद्र: भावनाओं को नियंत्रित करने के लिए,
बौद्धिक केंद्र: सोचने और समझने के लिए।
उन्होंने बताया कि लोग आमतौर पर इन केंद्रों का अनियमित और गलत तरीके से उपयोग करते हैं। लेकिन इन केंद्रों को सही तरह से संतुलित और कुशलता से उपयोग करना आत्म-विकास के लिए ज़रूरी है।
गुरजिएफ की शिक्षाएँ हमें यह सिखाती हैं कि जीवन को एक गहरी समझ और जागरूकता के साथ जीया जाए। उनके विचार सरल हैं—मन, शरीर, और भावना को संतुलित करके अपने वास्तविक स्वरूप को पहचानो और उस ऊँचाई तक पहुँचो जो तुम्हारे लिए संभव है। यह मार्ग कठिन हो सकता है, लेकिन यह आत्मा की शुद्धता और जीवन की सच्ची खुशी तक पहुँचाने वाला है। उनका दृष्टिकोण भौतिक, भावनात्मक और बौद्धिक पहलुओं को समेकित करके आत्म-जागरूकता और उच्च चेतना की खोज पर आधारित था। गुरजिएफ ने आत्म-अवलोकन और आत्म-स्मरण को जागरूकता के महत्वपूर्ण उपकरण बताया, जो मनुष्य को स्वचालित जीवन से जागरूक अस्तित्व की ओर ले जाते हैं। उनके द्वारा विकसित एननेग्राम मानव व्यक्तित्व और आध्यात्मिक विकास को समझने का एक उपकरण था। उन्होंने सिखाया कि जीवन के संघर्ष और दुख व्यक्ति के आंतरिक विकास के लिए आवश्यक हैं। उनकी शिक्षाएं आज भी आत्म-विकास और ब्रह्मांड के गहन ज्ञान की खोज में प्रेरणा का स्रोत बनी हुई हैं।
गुरजिएफ ने अपनी शिक्षाओं के लिए अपने श्रोताओं को बड़े ही अद्वितीय ढंग से चुना। वह केवल उन्हीं लोगों से संवाद करना चाहते थे, जिनमें सच्ची जिज्ञासा और आत्म-विकास की इच्छा हो। इसके लिए वह अक्सर अपने अनुयायियों को अप्रत्याशित परिस्थितियों में डालते। एक शहर से दूसरे शहर का सफर, रातभर इंतजार, और बार-बार जगह बदलने के कारण केवल वही लोग अंत तक टिक पाते, जिनमें दृढ़ता और सच्ची रुचि होती। जब अंत में कुछ गिने-चुने लोग बचते, तो गुरजिएफ कहते, "मैं इन्हीं से बात करना चाहता था, क्योंकि बाकी लोग सिर्फ मनोरंजन के लिए आए थे।"
इसी तरह, गुरजिएफ के जर्मनी स्थित आश्रम, जिसे "कैंप" कहा जाता था, में भी उन्होंने सच्चे साधकों को परखने का तरीका अपनाया। यूरोपीय उच्च वर्ग के लोग, जो अपने जीवन में कभी शारीरिक श्रम से नहीं जुड़े थे, जब वहां पहुंचे, तो उन्हें कड़ी मेहनत के कार्य सौंपे गए। गड्ढे खोदने और फिर उसे भरने जैसे प्रतीत होने वाले व्यर्थ काम करवाकर गुरजिएफ उनकी सहनशक्ति और समर्पण की परीक्षा लेते। जब अधिकांश लोग थक-हारकर चले जाते, तो केवल वही दस फीसदी लोग बचते, जो गुरजिएफ की सच्ची शिक्षाओं के पात्र होते। इन बचे हुए लोगों के साथ गुरजिएफ अपने वास्तविक आध्यात्मिक कार्य को आगे बढ़ाते। यह दृष्टिकोण उनकी शिक्षाओं की गहराई और अनुशासन को दर्शाता है।
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Author - Saroj Jangir
दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं एक विशेषज्ञ के रूप में रोचक जानकारियों और टिप्स साझा करती हूँ, मेरे इस ब्लॉग पर। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें।
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