संघ किरण घर घर देने को लिरिक्स Sangh Kiran Ghar Ghar Dene Ko Lyrics

संघ किरण घर घर देने को लिरिक्स Sangh Kiran Ghar Ghar Dene Ko Lyrics Deshbhakti Geet/ Patriotic Songs

संघ किरण घर घर देने को अगणित नंदादीप जले,
मौन तपस्वी साधक बन कर हिमगिरि सा चुपचाप गले,

नई चेतना का स्वर दे कर जनमानस को नया मोड दे,
साहस शौर्य हृदय मे भर कर नयी शक्ति का नया छोर दे,
संघशक्ति के महा घोष से असुरो का संसार दले,

परहित का आदर्श धार कर परपीडा को ह्रिदय हार दे,
निश्चल निर्मल मन से सब को ममता का अक्षय दुलार दे,
निशा निराशा के सागर मे बन आशा के कमल खिले,

जन मन भावुक भाव भक्ति है परंपरा का मान यहा,
भारत माँ के पदकमलो का गाते गौरव गान यहा,
सब के सुख दुख मे समरस हो संघ मन्त्र के भाव पले,


देशभक्ति गीत से अभिप्राय : देशभक्ति गीत किसी देश की अस्मिता होते हैं जिन के माध्यम से राष्ट्र को सर्वोपरि स्थान दिया जाता है। इन गीतों की प्रमुखता होती है की इनमे राष्ट्र रस और देशभक्ति की भावना जाग्रत करने के लिए रचा जाता है। राष्ट्रिय पर्व, राजनैतिक कारकर्मों, अन्यदेशों में देश का प्रतिनिधित्व जैसे ओलम्पिक गेम्स और अन्य खेल प्रतियोगिताओ में इसे बजाया जाता है ये राष्ट्र गान के बाद बजाया जाता है। कवी प्रदीप, सुमित्रानंदन पंत, गिरिजाकुमार माथुर के देशभक्ति गीत काफी प्रचलित हैं। स्वतंत्रता आंदोलन के समय से ही देशभक्ति गीत और कविताओं ने लोगों में जोश भरा है।

हिंदी सिनेमा ने देशभक्ति फिल्मों के माध्यम से इस क्षेत्र में विशेष कार्य किया है। टीवी का भी इस क्षेत्र में अहम् योगदान दिया है। दूरदर्शन के समय देशभक्ति गीत, सांप्रदायिक एकता को प्रदर्शित करने के लिए चलाये जाते थे जो लोगों की जुबान पर रहते थे। जैसे सुन सुन मेरे मुन्ने सुन, प्यार की गंगा बहे, देश में एक रहे। इसके साथ ही "मिले सुर मेरा तुम्हारा", "बजे सरगम हर तरफ से", "हिन्द देश के निवासी सब जन एक हैं", "हम सब एक हैं ", "झंडा ऊँचा रहे हमारा" आदि गीतों ने एक अमित छाप छोड़ी है।

सिनेमा ने देशभक्ति गीतों को एक नया आयाम दिया है। १९४८ में फिल्म शहीद ने लोगों में देशभक्ति की भावना को जाग्रत कर दिया था। फिल्म जगत से जुड़े कवी प्रदीप ने "ए मेरे वतन के लोगों " की रहना चीन युद्ध के बाद की गयी। कवी प्रदीप की इस रचना को सर्वप्रथम लता मगेशकर ने गाय जिसे सुन कर जवाहर लाल नेहरू के आखों में पानी आ गया था। आज भी स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस के अवसर पर यदि यह गीत ना बजाया जाय तो कुछ अधूरा सा रहता है।
१९६७ में प्रदर्शित उपकार फिल्म का एक गीत जो काफी प्रसिद्ध हुआ वो था " मेरे देश की धरती, सोना उगले, उगले हिरे मोती " लोगों की जुबान पर चढ़ गया था और आज भी विशेष अवसरों पर इसे प्रदर्शित किया जाता है जिसने पुरे देश को एक सूत्र में बांधने का प्रयास किया। इसके अलावा "जहाँ डाल डाल पर सोने की चिड़िया करे बसेरा ", "अपनी आजादी को हम हरगिज मिटा सकते नहीं ", "दे दी हमें आजादी बिना खडग बिना धाल , मेरा रंग दे बसंती चोला आदि गीतों ने देशभक्ति की भावना को लोगों में प्रसारित करने में अहम् भूमिका निभाई है। 

संघकिरण घर घर देने को, अगणित नंदादीप जले
मौन तपस्वी साधक बनकर, हिमगिरि सा चुपचाप गले

नई चेतना का स्वर देकर जन मानस को नया मोड़ दे,
साहस शौर्य ह्रदय में भरकर नई शक्ति का नया छोर दें,
संघ शक्ति के महाघोष से, असुरोंका संसार दले
मौन तपस्वी साधक बनकर, हिमगिरि सा चुपचाप गले

परहित का आदर्श धारकर परपीड़ा को ह्रदय हार दे,
निश्छल निर्मल मन से सबको ममता का अक्षय दुलार दें
निशा-निराशा के सागर में बन आशा के कमल खिले
मौन तपस्वी साधक बनकर, हिमगिरि सा चुपचाप गले

जनमन भावुक भावभक्ति है परंपरा का मान यहां
भारत माँ के पद कमलों का गाते गौरव गान यहां
(विश्वधर्म की स्वर वीणा पर गाते गौरव गान यहां)
सबके सुख दुःख में समरस हो, संघमंत्र के भाव पले
मौन तपस्वी साधक बनकर, हिमगिरि सा चुपचाप गले
Sangh Kiran Ghar Ghar Dene Ko Aganit Nandaadeep Jale,
Maun Tapasvee Saadhak Ban Kar Himagiri Sa Chupachaap Gale,

Naee Chetana Ka Svar De Kar Janamaanas Ko Naya Mod De,
Saahas Shaury Hrday Me Bhar Kar Nayee Shakti Ka Naya Chhor De,
Sanghashakti Ke Maha Ghosh Se Asuro Ka Sansaar Dale,

Parahit Ka Aadarsh Dhaar Kar Parapeeda Ko Hriday Haar De,
Nishchal Nirmal Man Se Sab Ko Mamata Ka Akshay Dulaar De,
Nisha Niraasha Ke Saagar Me Ban Aasha Ke Kamal Khile,

Jan Man Bhaavuk Bhaav Bhakti Hai Parampara Ka Maan Yaha,
Bhaarat Maan Ke Padakamalo Ka Gaate Gaurav Gaan Yaha,
Sab Ke Sukh Dukh Me Samaras Ho Sangh Mantr Ke Bhaav Pale,
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