हल्दी के अनेकों हैं फायदे ये हैं आसान तरीके

हल्दी के अनेकों हैं फायदे Haldi Ke Sabhi Fayde

हल्दी एक मसाला और जड़ीबूटी है जो करकुमा लोंगा पौधे की जड़ से प्राप्त होती है। यह एक बारहमासी पौधा है जो अदरक परिवार से संबंधित है। हल्दी का सबसे प्रमुख सक्रिय अंश है करक्यूमिन, जो एक शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी है। हल्दी को कई सदियों से आयुर्वेदिक चिकित्सा में उपयोग किया जा रहा है। आयुर्वेद में इसे हरिद्रा कहते हैं। हल्दी का उपयोग खाना पकाने, पारंपरिक चिकित्सा और सौंदर्य प्रसाधनों में किया जाता है। हल्दी एक बहुमुखी मसाला और जड़ीबूटी है जो अपने स्वास्थ्य लाभों के लिए जानी जाती है। हल्दी में करक्यूमिन नामक एक शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट होता है, जो शरीर को मुक्त कणों से बचाने में मदद करता है। मुक्त कण कैंसर और अन्य बीमारियों के जोखिम को बढ़ा सकते हैं।

हल्दी के अनेकों हैं फायदे Haldi Ke Sabhi Fayde

हल्दी क्या है Haldi Kya Hoti Hai ?

हल्दी (Turmeric लेटिन नाम-Curcuma Longa) एक औषधीय गुणों से भरपूर एक पौधा होता है। इसकी मूल (जड़) में गाँठ में हल्दी लगती है, जैसे की अदरक लगती है। हल्दी को हम कई नामों से जानते हैं यथा हरिद्रा, कुरकुमा लौंगा, वरवर्णिनी, गौरी, क्रिमिघ्ना योशितप्रीया, हट्टविलासनी, हरदल, कुमकुम आदि। मूल रूप में हल्दी, एंटी बेक्टेरियल (जीवाणु रोधी ), एंटी इंफ्लामेन्ट्री, एंटी ट्यूमर, एंटी एलर्जी, एंटीसेप्टिक, एंटीस्पास्मोडिक वात कफ और पित्त शामक, गठिया और जोड़ों के दर्द (आमा हल्दी), रक्त से सबंधीत विकारों, कोलेस्ट्रॉल की समस्या (एलडीएल कोलेस्ट्रॉल), मूत्रवर्धक, क्षुधावर्धक, रक्त स्तम्भन, मूत्र रोग, गर्भश्य, प्रमेह, त्वचारोगों में प्रभावी होती है। 
 
करक्यूमिन नामक पिगमेंट के कारण हल्दी का रंग पीला होता है। वात कफ और पित्त तीनों विकारों को हल्दी नियंत्रित कर सकती है। इसके अलावा वर्तमान में कैंसर जैसी भयंकर बीमारियों के उपचार में भी हल्दी की उपयोगिता खोजी जा रही है। दवा निर्माता कम्पनिया टूथपेस्ट और अन्य दवाइयों में हल्दी का उपयोग करने लगे हैं, कई निर्माताओं ने तो दूध में हल्दी मिलाकर उसे हर्बल और पावर मिल्क के नाम से लोगों के बीच में प्रस्तुत किया जा रहा है, यह है हल्दी की महिमा। वर्तमान में अमेरिका के द्वारा इसके पेटेंट को वापस लेना पड़ा क्योंकि भारतीय वैज्ञानिकों ने इसका कठोरता से विरोध किया है।

आयुर्वेदा के अनुसार हल्दी के गुण और महत्त्व

आयुर्वेदा में हल्दी के महत्व का वर्णन किया गया है। हल्दी एक दिव्य और गुणकारी ओषधि है। ऋषियों और आयुर्वेदा के जानकारों को हल्दी के गुणों का भान था इसलिए ही इसे रसोई में पहुंचाया। हल्दी के कोई साइड इफ्फेक्ट नहीं होते हैं। आयुर्वेद में इसके गुण धर्म में इसका स्वाद तीखा, वीर्य गर्म और पाचन उपरांत गर्म बताया गया है। आयुर्वेद में हल्दी को एक महत्वपूर्ण औषधि माना जाता है। यह एक शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट, सूजन-रोधी, दर्द निवारक, और कैंसर-रोधी गुणों के लिए जानी जाती है। हल्दी का उपयोग विभिन्न प्रकार की बीमारियों के इलाज के लिए किया जाता है, जिनमें आर्थराइटिस, गठिया, कैंसर, पाचन समस्याएं, और त्वचा की समस्याएं शामिल हैं।

हल्दी की उपयोगिता 

हमारे पूर्वजों और आयुर्वेदा के जानकार व्यक्तियों में इसकी उपयोगिता को समझ कर इसे हमारी रसोई से लेकर धार्मिक अनुष्ठानों, सामाजिक अनुष्ठानों में इसको शामिल किया है। जैसे की हर सब्जी में हल्दी का रसोई में उपयोग और हल्दी का सामाजिक रश्मों में प्रयोग। कपड़ों को रंगने में भी हल्दी का प्रयोग इसके गुणों के कारन ही होता आया है। 

हल्दी : हल्दी एंटीऑक्सीडेंट्स गुणों से भरपूर होती है। हल्दी एंटी इफ्लेमेट्री, एंटी बैक्ट्रियल होती है। सुखी हल्दी तो हम सब्जी में डाल कर खाते ही हैं लेकिन सर्दियों में अगर कच्ची हल्दी की देसी गाय के घी में सब्जी बनाकर खायी जाय तो यह शरीर के लिए बहुत ही उपयोगी होती है। आयुर्वेद में हल्दी को वातनाशक बताया गया है। करक्यूमिन नामक तत्व हल्दी को और अधिक लाभदायी बना देता है। हल्दी में उड़नशील तेल 5.8%, प्रोटीन 6.3%, द्रव्य 5.1%, खनिज द्रव्य 3.5%, और करबोहाईड्रेट 68.4% के अतिरिक्त कुर्कुमिन नामक पीत रंजक द्रव्य, विटमिन A पाए जाते हैं। 
 
हल्दी पाचन तन्त्र की समस्याओं, गठिया, रक्त-प्रवाह की समस्याओं, कैंसर, जीवाणुओं (बेक्टीरिया) के संक्रमण, उच्च रक्तचाप और एलडीएल कोलेस्ट्रॉल की समस्या और शरीर की कोशिकाओं की टूट-फूट की मरम्मत में लाभकारी है। हल्दी कफ़-वात शामक, पित्त रेचक व पित्त शामक है।

रोज सुबह हल्दी का पानी पीने से रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास होता है और शरीर को अनेकों रोगों से लड़ने क्षमता प्राप्त होती है। हल्दी का पानी रक्त शोधन का भी कार्य करता है। हल्दी डाइबिटीज़ को भी पनपने से रोकने में सक्षम है। आमा हल्दी का उपयोग कमर दर्द और जोड़ों के दर्द के लिए लाभदायक होती है। हल्दी हमारे शरीर से विषाक्त कणों को बाहर निकालती है। सूजन कम करने में भी हल्दी काम में ली जाती है। कैंसर जैसी बिमारियों की रोक थाम में भी हल्दी का महत्त्व होता है। हल्दी को त्वचा पर लगाने से त्वचा का संक्रमण दूर होता है।

हल्दी का उपयोग ओषधि के रूप में

हल्दी के निश्चित उपयोग से इसके औषधीय गुणों को प्राप्त किया जा सकता है। इस लेख में हम जानेंगे की हल्दी का उपयोग कैसे करें और किस प्रकार से यह हमारे स्वास्थ्य के लिए उपयोगी होती है।

हल्दी की तासीर

हल्दी की तासीर गर्म होती है। जिनका शरीर गर्म रहता है, नकसीर की समस्या हो, बवासीर की समस्या हो उन्हें हल्दी के सेवन में विशेष सावधानी रखनी चाहिए क्योंकि हल्दी उनके शरीर में और अधिक गर्मी बढ़ा देती है। यदि आप हल्दी का सेवन कर रहे हैं तो शरीर को ठंडा करने वाले पेय प्रदार्थों का उपयोग बढ़ा देना चाहिए।

ओषधि के रूप में हल्दी कहाँ से खरीदें

यदि आपको ओषधि के रूप में हल्दी का सेवन करना है तो बाजार में बिकने वाली पीसी हुयी हल्दी के स्थान पर आप हल्दी की सुखी गांठें पंसारी की दूकान से खरीदें और उन्हें पहले कूट लें। कूटने के बाद आप इसे मिक्सी में पीस लें। एक बात का विशेष ध्यान रखें की जितनी हल्दी काम में लेनी है उतनी ही पीसें अन्यथा इसके प्राकृतिक तैलीय प्रदार्थ समाप्त हो जाते हैं। इसके भण्डारण में भी विशेष ध्यान रखें और एयर टाइट डिब्बे में रखें ताकि इसके ज्यादा से ज्यादा गुणों का लाभ प्राप्त किया जा सके। बाजार में बिकने वाली हल्दी मिलावटी और कृत्रिम रंगों की हो सकती है।

मधुमेह में हल्दी है लाभदायी

हल्दी मधुमेह रोग में उपयोगी होती है। हल्दी में पाए जाने वाला कर्कुमिन रक्त में ग्लूकोज के स्तर को कम करता है। नियमित रूप से हल्दी के सेवन से मधुमेह रोग में लाभ मिलता है। अमेरिकन डायबिटीक एसोसिएशन की एक रिपोर्ट के अनुसार, हल्दी में पाया जाने वाला करक्यूमिन तत्व टाइप 2 डायबिटीज को रोकता है।मधुमेह के रोगी को हल्दी के उपयोग में सतर्क रहना चाहिए क्योंकि हल्दी ब्लड शुगर के लेवल को कम कर रोगी की पहले से चल रही दवाओं पर असर दिखती है और लो ब्लड शुगर की समस्या पैदा कर सकती है। मधुमेह के रोगी को आयुर्वेदाचार्य की सलाह के उपरांत ही हल्दी का उपयोग करना चाहिए। मधुमेह में आंवले के साथ हल्दी का उपयोग श्रेष्ठ माना जाता है। 

हल्दी पाचन तंत्र (digestive system) को बनाए मजबूत

हल्दी पाचन तंत्र के लिए बहुत फायदेमंद है। यह पाचन में सुधार करती है, सूजन को कम करती है, और पेट में ऐंठन और दर्द से राहत देती है। हल्दी में मौजूद करक्यूमिन एक शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट है जो शरीर को हानिकारक मुक्त कणों से बचाने में मदद करता है। यह माइग्रेन के दर्द को कम करने में भी मदद कर सकता है। हल्दी का सेवन पानी में मिलाकर, दूध में मिलाकर, या खाने में मिलाकर किया जा सकता है। हल्दी पाउडर को पानी या दूध में मिलाकर पीने से पाचन तंत्र के लिए बहुत फायदेमंद होता है। हल्दी को सब्जियों, दालों, और रोटी में मिलाकर भी खाया जा सकता है।

गठिया रोग में हल्दी का लाभ

आमा हल्दी का उपयोग कटिशूल और गठिया के रोगों में लाभदायी होती है। हल्दी के एंटी इन्फ्लैमटॉरी गुणों के चलते यह सूजन कम करती है और कर्कुमिन के कारन हल्दी के सेवन से फ्री रेडिकल्स शरीर से बाहर निकलते हैं। एक चम्मच जल्दी पाऊडर को गर्म दूध के साथ लेने पर गठिया में इसका लाभ मिलता है। सर्दियों में कच्ची हल्दी के सेवन से भी शीघ्र आराम मिलता है। कच्ची हल्दी की सब्जी बनाकर खाने से भी फायदा प्राप्त होता है।

हल्दी से करें वजन नियंत्रित

हल्दी से बढ़ते वजन पर भी नियंत्रण किया जा सकता है। टफ्ट्स यूनिवर्सिटी में किए गए एक अध्ययन के मुताबिक, हल्‍दी वास्तव में वसा ऊतकों में वृद्धि को रोकती है। हल्दी चीनी के लेवल को रेगुलेट करने और इंसुलिन की रूकावट को कम करने में मदद करती है. इंसुलिन और वसा के शरीर में रूकने से अतिरिक्त वसा जमा होने लगती है। हल्दी से पित्त वृद्धि होती है जिससे वसा जमा नहीं हो पाती है। हल्दी की चाय और हल्दी तो दूध के साथ भी सेवन किया जा सकता है

हल्दी का लाभ महिलाओं के लिए

महिलाओं के मासिक धर्म के दौरान भी हल्दी बहुत लाभदायी होती है। हल्दी के सेवन से अत्यधिक ब्लडिंग, सूजन, ऐंठन में लाभ मिलता है। हल्दी में जो एंटीसेप्टिक गुण होते हैं उनकी वजह से सूजन भी कम होती है। हल्दी का उपयोग आयुर्वेदाचार्य की बतायी निश्चित मात्रा में ही करें। हल्दी गर्भाशय में गर्मी बढ़ा सकती है जिससे पीरियड्स जल्दी आ जाते हैं। इसके लिए आधी चम्मच हल्दी को गुनगुने पानी में मिलाकर सेवन करें।

त्वचा के लिए हल्दी का उपयोग

त्वचा विकारों को दूर करने के लिए भी हल्दी का उपयोग लाभकारी होता है। वर्तमान में कई निर्माताओं के द्वारा हल्दी का उपयोग सौंदर्य क्रीम और फेस वाश में किया जाता है। आप घर पर ही हल्दी का लाभ उठा सकते हैं इसके लिए आपको महंगे प्रोडक्ट की आवश्यकता नहीं है। हल्दी को दूध में मिला लें, ध्यान रहे की हल्दी और दूध का अनुपात इतना ही रखें जिससे पेस्ट गाढ़ा बना रहे। हल्दी के इस लेप को मुंह, हाथ पैरों और एड़ी पर लगाएं और इसे दस मिनट्स तक लगा कर रखें और फिर नहा लें। इस लेप से त्वचा पर ग्लो बढ़ता है और कील मुंहासे, फोड़े फुंसी और मृत त्वचा हटती है। आप चाहे तो हल्दी में बेसन, खीरे का ज्यूस, शहद मिलाकर भी त्वचा पर लगा सकते हैं। हल्दी के एंटी बैक्ट्रियल गुणों के कारण त्वचा का संक्रमण दूर होता है और रंग में निखार आता है। यही कारण है की दूल्हे और दुल्हन को हल्दी की रस्म में हल्दी का लेप लगाया जाता है। आँखों के निचे इसका लेप लगाने से काले घेरे दूर होते हैं। हल्दी में सरसों का तेल मिलाकर नाभि पर लगाने से होटों का फटना दूर हो जाता है। तैलीय त्वचा के लिए भी हल्दी बहुत लाभदायी होती है। खोपरे के तेल में हल्दी मिलाकर फटी एड़ियों पर लगाने से फटी एड़ियां ठीक होती है।

रोग प्रतिरोधक क्षमता के लिए हल्दी का उपयोग

हल्दी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढाती है। इसके सेवन से छोटे मोटे रोगों से बचाव होता है। हल्दी एक आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी है जिसे हजारों वर्षों से विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं के इलाज के लिए उपयोग किया जाता रहा है। हल्दी में करक्यूमिन नामक एक सक्रिय यौगिक होता है, जो एक शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी है।

हल्दी का उपयोग रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए किया जा सकता है। हल्दी में मौजूद करक्यूमिन शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली कोशिकाओं की कार्यप्रणाली को बेहतर बनाने में मदद करता है। यह शरीर को हानिकारक बैक्टीरिया, वायरस, और फंगस से लड़ने में मदद करता है।

हल्दी का उपयोग कैंसर की रोक थाम के लिए

हल्दी में जो कर्कुमिन होता है वह शरीर से फ्री रेडिक्लस और विषाक्त कणों को शरीर से बाहर निकालने में कुछ हद तक मदद करती है। हल्दी में एंटी ट्यूमर गुण भी होते हैं। इसके सेवन से प्रभावित कैंसर कोशिकाओं को शरीर स्वंय मारने लग जाता है। हालाँकि अभी यह बात पूर्ण रूप से प्रामाणिक नहीं है। एक समस्या यह भी है की कर्कुमिन पूर्ण रूप से पानी में घुल नहीं सकता है इसलिए शरीर इसका पूर्ण लाभ नहीं ले पाता है। आशा है की शीघ्र ही इस दिशा में कोई सिद्ध प्रमाण मिलेगा।

हल्दी के अन्य लाभ Haldi Ke Sampurn Fayde

  • हल्दी को दूध में मिलाकर पिने से लिवर का संक्रमण दूर होता है। हल्दी शरीर से विषाक्त प्रदार्थों को बाहर निकालने में मदद करती है जिससे आपका लिवर भी स्वस्थ रहता है।
  • हल्दी का पानी पीने से अवसाद दूर होता है और मस्तिष्क ऊर्जावान बना रहता है।
  • हल्दी का उपयोग करने से घाव जल्दी भरते हैं।
  • अल्जाइमर से बचाव में भी हल्दी कारगर होती है।
  • पाचन क्रिया को सुधारती है हल्दी।
  • कोलेस्ट्रॉल को कम करने में फायदेमंद है हल्दी।
  • शरीर में सूजन कम करने में लाभदायी।
  • दही में हल्दी मिलाकर त्वचा पर लगाने से त्वचा सबंधी विकार दूर होते हैं।
  • हल्दी में निम्बू मिलाकर इसका लेप त्वचा पर करने से कील मुहांसे दूर होते हैं।
  • बेसन में हल्दी मिलाकर लगाने से चेहरे का ग्लो बढ़ता है और कालापन दूर होता है।
  • चन्दन में हल्दी मिलाकर लगाने से रंग में निखार आता है और कील मुंहासे दूर होते हैं।
  • हल्दी में दूध मिलाकर पिने से हड्डियां मजबूत बनती है।
  • दूध में आधा चम्मच हल्दी मिलाकर पिने से पेट दर्द नहीं होता है।
  • हल्दी की गाँठ को आग पर सेक कर ठंडा होने पर मुंह में रखकर चूसने से सर्दी जुकाम दूर होता है और कफ शांत होता है।
  • गर्म दूध में हल्दी मिलाकर सेवन करने से गले के विकार दूर होते हैं।
  • एक गिलास पानी में हल्दी के चूर्ण को उबाल कर उसकी भाप को शरीर के अंदर खींचने पर सरदर्द और कमरदर्द में आराम मिलता है।
  • गरम तेल में हल्दी मिलाकर घाव पर लगाने से वह जल्दी ठीक हो जाता है।
  • हल्दी में लॉन्ग का चूर्ण, नमक मिलाकर अच्छे से पीस कर मंजन करने से दांत स्वस्थ रहते हैं।
  • यदि किसी जहरीले कीड़े ने काट लिया तो उस पर हल्दी का पेस्ट बनाकर लगाना चाहिए।
  • प्रसव के दौरान हल्दी का उपयोग करने पर पीड़ा कम होती है।
  • हल्दी के साथ छाछ मिलाकर पीने से पीलिया रोग में लाभ मिलता है।
पतंजलि हल्दी पाउडर : यदि आप पतंजलि हल्दी पाउडर को खरीदना चाहते हैं या अधिक जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो पतंजलि आयुर्वेदा की ऑफिसियल वेब साइट पर विजिट करें जिसका लिंक निचे दिया गया है।हल्दी एक बहुमुखी जड़ी-बूटी है जो अपने स्वास्थ्य लाभों के लिए जानी जाती है। इसका उपयोग हजारों वर्षों से भारतीय व्यंजनों में किया जाता रहा है, और हाल के वर्षों में, वैज्ञानिकों ने हल्दी के कई संभावित स्वास्थ्य लाभों की खोज की है। हल्दी को अपने आहार में शामिल करने का एक अच्छा तरीका है कि इसे सब्जियों, सूप और अन्य व्यंजनों में शामिल करें। हल्दी पाउडर को पानी में मिलाकर या दूध में मिलाकर भी पीया जा सकता है।

Patanjali Turmeric Powder means the powder obtained by grinding clean, sound, dried mature roots of Turmeric. It adds a mild flavor and aroma to sweet and savory food preparations. https://www.patanjaliayurved.net/product/natural-food-products/spices/turmeric-powder/695

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Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं इस ब्लॉग पर रोचक और ज्ञानवर्धक जानकारियों और टिप्स यथा आयुर्वेद, हेल्थ, स्वास्थ्य टिप्स, पतंजलि आयुर्वेद, झंडू, डाबर, बैद्यनाथ, स्किन केयर आदि ओषधियों पर लेख लिखती हूँ, मेरे इस ब्लॉग पर। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें

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