पारिजात, प्राजक्ता (हरसिंगार) उपयोग और लाभ

पारिजात, प्राजक्ता (हरसिंगार) उपयोग और लाभ Benefits of Paarijat, Jajakta (Harsingar ) Hindi


पारिजात, प्राजक्ता (हरसिंगार) उपयोग और लाभ Benefits of Paarijat, Jajakta (Harsingar ) Hindi

पारिजात क्या होता है ? What is Parijat in Hindi?

पारिजात, प्राजक्ता (हरसिंगार) (निक्‍टेन्थिस आर्बोर्ट्रिस्टिस) एक आयुर्वेदिक ओषधिय गुणों से भरपूर वृक्ष होता है। प्रांतीय स्तर पर इसे विभिन्न नामों से जाना जाता है जैसे हरसिंगार, शेफाली, शिउली आदि। पारिजात के फूल, पत्ते और छाल आदि का उपयोग औषधीय क्षेत्र में किया जाता है। इसके गुणों के कारण ही इस वृक्ष को देवलोक वृक्ष कहा जाता है। इस वृक्ष की छांया घनी और पुष्प सुगन्धित होते हैं। इस वृक्ष का उल्लेख भगवत गीता में भी किया गया है। 
 
पारिजात या हरसिंगार एक गुणकारी औषधि है। इसके फूल, पत्ते और बीज कई तरह की बीमारियों के इलाज में इस्तेमाल किए जाते हैं। पारिजात के फूलों का काढ़ा बनाकर पीने से सर्दी-जुकाम, खांसी, श्वास फूलना, गले में खराश आदि में लाभ होता है। इसके पत्तों का काढ़ा बनाकर पीने से पेट के कीड़े मर जाते हैं। इसके बीजों का चूर्ण बनाकर खाने से दर्द और सूजन से राहत मिलती है।

पारिजात के फूलों का रस निकालकर चेहरे पर लगाने से त्वचा चमकदार और मुलायम होती है। इसके पत्तों का रस निकालकर बालों में लगाने से बालों का झड़ना कम होता है और बालों को पोषण मिलता है। पारिजात के फूलों का काढ़ा बनाकर पीने से रक्तचाप नियंत्रित रहता है। इसके पत्तों का काढ़ा बनाकर पीने से अनिद्रा दूर होती है। इसके फूलों का काढ़ा बनाकर पीने से मानसिक तनाव कम होता है।

पारिजात एक फूल है जिसे हरसिंगार भी कहा जाता है। यह एक झाड़ीदार पौधा है जो भारत, नेपाल, श्रीलंका और इंडोनेशिया में पाया जाता है। इसके फूल सफेद रंग के होते हैं और इनमें एक बहुत ही सुगंध होती है। पारिजात के फूलों का उपयोग पूजा-पाठ और अन्य धार्मिक अनुष्ठानों में किया जाता है। पारिजात का वानस्पतिक नाम निक्टैन्थिस् आर्बोर-ट्रिस्टिस् (Nyctanthes arbor-tristis Linn., Syn-Nyctanthes dentata Blume) है और यह ओलिएसी (Oleaceae) कुल से है।  पारिजात का पेड़ भारत, नेपाल, श्रीलंका और इंडोनेशिया में पाया जाता है। यह एक झाड़ीदार या छोटे पेड़ का रूप ले सकता है। इसके फूल सफेद रंग के होते हैं और इनमें एक बहुत ही सुगंध होती है। फूल शाम को खिलते हैं और सुबह तक मुरझा जाते हैं।

पारिजात के गुण धर्म

पारिजात हलका, रूखा, तिक्त, कटु, गर्म, वात-कफनाशक, ज्वार नाशक, मृदु विरेचक, शामक, उष्णीय और रक्तशोधक होता है। पारिजात के पत्तों में टैनिक एसिड, मेथिलसेलिसिलेट, एक ग्लाइकोसाइड, मैनिटाल, तेल, विटामिन सी और ए प्रमुखता से पाया जाता है। इसकी छाल में ग्लाइकोसाइड पाया जाता है। पारिजात के पत्ते, फूल और जड़ में औषधीय गुण होते हैं और इन्ही का उपयोग प्रमुखता से किया जाता है।

हरसिंगार की तासीर क्या होती है

हरसिगार की तासीर गर्म होती है इसलिए इसका सेवन अधिक मात्रा में नहीं करना चाहिए। विस्तृत जानकारी के लिए आयुर्वेदाचार्य से राय अवश्य लेवें।

पारिजात के फायदे/लाभ

पारिजात वृक्ष की पत्तियों, छाल और पुष्प का औषधीय महत्त्व होता है और विभिन्न विकारों को दूर करने के लिए उपयोग में लिया जाता है। इसके प्रमुख लाभ निचे दिए गए हैं। 

रूसी (डैंड्रफ हटाने) में पारिजात के फायदे Benefits of Parijat Vriksha in Dandruff

पारिजात या हरसिंगार एक गुणकारी औषधि है। इसके फूल, पत्ते और बीज कई तरह की बीमारियों के इलाज में इस्तेमाल किए जाते हैं। रूसी की समस्या में भी पारिजात के फायदे मिलते हैं। पारिजात के बीजों में एंटी-फंगल गुण होते हैं। ये गुण रूसी के कारण होने वाले फंगस को खत्म करने में मदद करते हैं। पारिजात के बीजों का पेस्ट बनाकर सिर पर लगाने से रूसी की समस्या से छुटकारा मिलता है।
 

गले के रोग में पारिजात के फायदे

परिजात, जिसे हरसिंगार के नाम से भी जाना जाता है, एक औषधीय पौधा है जिसमें कई स्वास्थ्य लाभ होते हैं। यह एंटीऑक्सीडेंट, एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीबैक्टीरियल गुणों से भरपूर होता है। इन गुणों के कारण, परिजात का उपयोग विभिन्न प्रकार के स्वास्थ्य समस्याओं के इलाज के लिए किया जा सकता है, जिनमें गले के रोग भी शामिल हैं।
गले में खराश - परिजात के पत्तों का काढ़ा बनाकर पीने से गले में खराश से राहत मिलती है।
खांसी - परिजात के फूलों का काढ़ा बनाकर पीने से खांसी से राहत मिलती है।
गले में सूजन - परिजात के पत्तों को चबाने से गले में सूजन कम होती है।
गलशुण्डी - परिजात की जड़ को चबाने से गलशुण्डी से जुड़े विकार ठीक होते हैं।
 

खांसी में लाभकारी है पारिजात

परिजात, जिसे हरसिंगार के नाम से भी जाना जाता है, एक औषधीय पौधा है जिसमें कई स्वास्थ्य लाभ होते हैं। यह एंटीऑक्सीडेंट, एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीबैक्टीरियल गुणों से भरपूर होता है। इन गुणों के कारण, परिजात का उपयोग विभिन्न प्रकार के स्वास्थ्य समस्याओं के इलाज के लिए किया जा सकता है, जिनमें खांसी भी शामिल है।
 

संक्रमण दूर करने में पारिजात के फायदे

पारिजात के पत्तों में कई तरह के एंटीवायरल और एंटीबैक्टीरियल गुण पाए जाते हैं। इन गुणों के कारण, पारिजात का उपयोग विभिन्न प्रकार के संक्रमणों के इलाज के लिए किया जा सकता है, जिनमें शामिल हैं:
श्वसन संक्रमण - पारिजात का उपयोग सर्दी, खांसी, और निमोनिया जैसे श्वसन संक्रमणों के इलाज के लिए किया जा सकता है।
त्वचा संक्रमण - पारिजात का उपयोग फंगल संक्रमण, जीवाणु संक्रमण, और वायरल संक्रमण जैसे त्वचा संक्रमणों के इलाज के लिए किया जा सकता है।
पेट के संक्रमण - पारिजात का उपयोग डायरिया, दस्त, और अल्सर जैसे पेट के संक्रमणों के इलाज के लिए किया जा सकता है।
 

बुखार में पारिजात के फायदे

पारिजात में एंटीपायरेटिक गुण पाए जाते हैं, जो शरीर के तापमान को सामान्य स्तर पर लाने में मदद करते हैं। पारिजात का उपयोग बुखार के इलाज के लिए निम्नलिखित तरीकों से किया जा सकता है:
काढ़ा - पारिजात के पत्तों को पानी में उबालकर काढ़ा बना लें। इस काढ़े को दिन में दो बार पिएं।
चूर्ण - पारिजात के पत्तों को पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को दिन में दो बार पानी के साथ लें।
घुट्टी - पारिजात के पत्तों का काढ़ा बनाकर घुट्टी लें।

प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए

हरसिंगार के पत्ते एक शक्तिशाली इम्यूनिटी बूस्टर हैं। इनमें एंटीऑक्सीडेंट, एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीवायरल गुण होते हैं जो शरीर को संक्रमण से बचाने में मदद करते हैं। हरसिंगार के पत्तों से हर्बल टी बनाने के लिए, बस कुछ ताजे हरसिंगार के पत्तों को एक कप उबलते पानी में डालें और 5-7 मिनट तक उबालें। फिर, इसे छान लें और दिन में दो बार पिएं।

हरसिंगार के पत्तों का रस भी बनाया जा सकता है। इसके लिए, बस कुछ ताजे हरसिंगार के पत्तों को धोकर एक मिक्सर में पीस लें। फिर, इस रस को छान लें और दिन में दो बार पिएं। हरसिंगार के पत्तों का सेवन करने से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता में काफी वृद्धि होती है। यह सर्दी-खांसी, बुखार, फ्लू और अन्य संक्रमणों से बचाने में मदद करता है।
 

साइटिका और अर्थराइटिस के लिए लाभकारी

पारिजात (हरसिंगार) साइटिका और अर्थराइटिस के दर्द के लिए एक प्रभावी प्राकृतिक उपाय हो सकता है। इसके पत्तों और फूलों में एंटी-इंफ्लेमेंटरी गुण होते हैं, जो सूजन और दर्द को कम करने में मदद करते हैं। इसके अलावा, इसमें विशिष्ट एसेंशियल ऑयल होते हैं जो दर्द निवारक और एनाल्जेसिक प्रभाव प्रदान करते हैं। साइटिका एक ऐसी स्थिति है जिसमें रीढ़ की हड्डी से निकलने वाली नसें प्रभावित हो जाती हैं। इससे पीठ, पैर और पैर में दर्द, सुन्नता और कमजोरी हो सकती है। अर्थराइटिस एक ऐसी स्थिति है जिसमें जोड़ों में सूजन और दर्द होता है। यह अक्सर घुटनों, कूल्हों, हाथों और पैरों को प्रभावित करता है।
 

सूखी खांसी के लिए गुणकारी है पारिजात

पारिजात के पत्तों और फूलों से बनी चाय सूखी खांसी के लिए एक प्रभावी प्राकृतिक उपाय हो सकती है। इसके पत्तों और फूलों में एंटी-इंफ्लेमेंटरी, एंटीवायरल और एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं, जो खांसी को कम करने में मदद करते हैं।

पारिजात के पत्तों और फूलों से बनी चाय बनाने के लिए, आपको निम्नलिखित सामग्री की आवश्यकता होगी:
  • पारिजात के पत्ते - 2
  • शहद - 1 चम्मच

विधि:
  • पारिजात के पत्तों को अच्छी तरह से धो लें।
  • एक मिक्सर में पत्तों को पीसकर रस निकाल लें।
  • रस में शहद मिलाकर पी लें।
इस चाय को दिन में दो बार पीने से सूखी खांसी में राहत मिल सकती है।
यहाँ कुछ अतिरिक्त सुझाव दिए गए हैं जो आपको सूखी खांसी के इलाज में मदद कर सकते हैं:
  • पर्याप्त पानी पिएं।
  • गर्म तरल पदार्थों का सेवन करें।
  • भाप लें।
  • गले को नम रखें।
  • धूम्रपान से बचें।

सर्दी में हड्डियों के दर्द में लाभकारी

पारिजात के पत्ते, छाल और फूल का काढ़ा शरीर के किसी भी हिस्से में दर्द या सूजन को कम करने में मदद कर सकता है। इसके पत्ते, छाल और फूल में एंटी-इंफ्लेमेंटरी गुण होते हैं, जो सूजन को कम करने में मदद करते हैं। इसके अलावा, इसमें दर्द निवारक गुण भी होते हैं, जो दर्द को कम करने में मदद करते हैं।
 

पारिजात के अन्य समस्त लाभ/फायदे

  • पारिजात का उपयोग जोड़ों के दर्द में प्रभावी माना गया है। जिन लोगों को वात की समस्या हो, जोड़ो में दर्द रहता हो, कटिशूल आदि हो तो पारिजात की 5 पत्तियों को पीस कर एक गिलास पानी में धीमी आंच पर उबालें। जब पानी एक कप रह जाय तो उसे ठंडा करके इस काढ़े का सेवन करने से दर्द दूर होता है। ओर्थोरिटिस की समस्या में इसका सेवन करना लाभदायी होता है।
  • समस्त प्रकार के मूत्र विकार में पारिजात वृक्ष के पत्तों का रस लाभदायी होता है।
  • इसके पत्तों का सेवन करने से बवासीर में लाभ मिलता है।
  • पारिजात के फूलों का रस बनाकर पिने से हृदय रोगों में लाभ मिलता है।
  • पारिजात के ताजा पत्तों का रस पिने से स्लिप डिस्क और साईटिका में लाभ मिलता है और जोड़ों का दर्द भी दूर हो जाता है।
  • हरसिंगार (पारिजात) के पत्तों के रस में तुलसी के पत्तों का रस मिलाकर सेवन करने से भुखार में आराम मिलता है।
  • संधिवात, जोड़ों के दर्द, गठियारोगों में भी इसका सेवन लाभदायी होता है। इसके लिए इसके पत्तों को पानी में उबालकर पिने से लाभ प्राप्त होता है। इसके लिए चार से पांच पत्ते लेकर एक गिलास में उबालें। जब पानी आधा रह जाए तो इसे छान लें। गुनगुना रह जाने पर इसके काढ़े को चाय की तरह से एक महीने तक सेवन करें।
  • पारिजात क्वाथ के सेवन से सुखी खांसी में सुधार होता है।
  • हरसिंगार की पत्तियों को पीस कर इसके लेप को टूटी हड्डी के स्थान पर लगाने से हड्डी जल्दी जुड़ती है और सूजन दूर होती है।
  • हर सिंगार के सेवन से शरीर से विषाक्त प्रदार्थ बाहर निकलते हैं और रक्त साफ़ होता है। यह एक अच्छा रक्त शोधक है इसके लिए क्वाथ का सेवन बेहतर माना जाता है।
  • पारिजात के पत्तों में एंटी बैक्ट्रियल और एंटी इंफ्लामेंटरी गुण होते हैं। इनको पीस कर इनका लेप घाव पर लगाने से घाव जल्दी भरता है और सूजन नहीं होती है।
  • पारिजात के पत्तों को शहद के साथ लेने से बुखार में लाभ मिलता है।
  • पारिजात के पत्तों के सेवन से पेट के कृमि मर जाते हैं और शरीर से बाहर निकल जाते हैं।
  • हरसिंगार के पुष्पों का रस पिने से बालों के विकार दूर होते हैं और बाल मजबूत बनते हैं।
  • पारिजात के पत्तों के रस का सेवन करने से मधुमेह में भी लाभ प्राप्त होता है।
  • स्त्री रोगों में भी पारिजात के सेवन से लाभ प्राप्त होता है।
  • पारिजात के फूलों के रस से मलेरिया जैसे रोगों में भी लाभ मिलता है और यह कृमिनाशक होता है।
  • हरसिंगार एक उत्कृष्ट एंटी ऑक्सीडेंट्स होता है जो की बढ़ती उम्र के प्रभावों को कम करता है और शरीर से विषाक्त कणो को बाहर निकलता है।
  • हरसिंगार शरीर के लिए एक अच्छा एंटी बेक्टेरियल होता है इससे त्वचा के विकार भी दूर होते हैं।
  • हरसिंगार की पत्तियों को (दो से चार ) मुंह में चबाने से मुंह के बेक्टेरिया दूर होते हैं और कफ का नाश होता है।
  • हरसिंगार की पत्तियों का पेस्ट बनाकर दाद पर लगाने से वह ठीक हो जाता है। इसके अलावा खाज खुजली में भी यह लाभदायक होता है।
  • ५ से ६ पत्ते हरसिंगार के पत्तों का रस, अदरक का रस और शहद मिलाकर लेने से यकृत का बढ़ना रुकता है।
  • हरसिंगार की जड़ को चबाने से तालु रोगों में लाभ मिलता है।
  • हरसिंगार के फूलों को शहद के साथ लेने से मानसिक उन्माद दूर होता है।
  • सन्धिवात की सबसे श्रेष्ठ दवा होती है पारिजात। पारिजात के ५ से ६ को एक गिलास पानी में उबाल लें। इनको जब तक उबालें जब तक वह एक कप जितना रह जाय। अब इसे ठंडा करके इसका सेवन करे। श्रेष्ठ परिणाम प्राप्त करने के लिए इसे सुबह खाली पेट सेवन करे।

पारिजात क्वाथ कहाँ से खरीदें

पारिजात क्वाथ आपको पंसारी की दुकान या आयुर्वेदिक दवा की दुकान में मिल जायेगी। इसके अलावा आप इसे पतंजलि स्टोर से भी क्रय कर सकते है। ऑनलाइन खरीदने या फिर और अधिक जानकारी के लिए पतंजलि आयुर्वेदा की ऑफिसियल वेबसाइट पर विजिट करें जिसका लिंक निचे दिया गया है।

https://www.patanjaliayurved.net/product/ayurvedic-medicine/kwath/parijaat-kwath-100gm/131

PARIJAAT KWATH is an ayurvedic product. It is useful in Fever, Cough and Cold. Other names of Parijaat is Night Jasmine / Harsingar.

पारिजात के दुष्परिणाम Side effects of Parijat

पारिजात (हरसिंगार) का उपयोग करना आमतौर पर सुरक्षित माना जाता है, लेकिन कुछ मामलों में यह कुछ दुष्प्रभाव भी पैदा कर सकता है। इन दुष्प्रभावों में शामिल हैं:
  • मतली और उल्टी
  • दस्त
  • सिरदर्द
  • चक्कर आना
  • नींद न आना
  • चिंता
  • घबराहट
  • दिल की धड़कन बढ़ना
  • रक्तचाप में कमी
पारिजात (हरसिंगार) का उपयोग करने से पहले, अपने डॉक्टर से बात करना हमेशा सबसे अच्छा होता है। विशेष रूप से, आपको निम्नलिखित मामलों में अपने डॉक्टर से बात करनी चाहिए:
  • यदि आप गर्भवती हैं या स्तनपान करा रही हैं
  • यदि आप किसी अन्य दवा या हर्बल सप्लीमेंट का उपयोग कर रही हैं
  • यदि आपको कोई स्वास्थ्य समस्या है

यदि आपको पारिजात (हरसिंगार) के ओवरडोज के लक्षण दिखाई देते हैं, तो तुरंत चिकित्सा सहायता लें। पारिजात (हरसिंगार) के सेवन की खुराक भी महत्वपूर्ण है। अपने डॉक्टर के निर्देशों का पालन करें और कभी भी निर्धारित खुराक से अधिक न लें। यहां कुछ सुझाव दिए गए हैं जो आपको पारिजात (हरसिंगार) का सुरक्षित रूप से उपयोग करने में मदद कर सकते हैं:

  • हमेशा अपने डॉक्टर के निर्देश पर पारिजात (हरसिंगार) का उपयोग करें।
  • पारिजात (हरसिंगार) के ओवरडोज से बचने के लिए कभी भी निर्धारित खुराक से अधिक न लें।
  • यदि आप गर्भवती हैं, स्तनपान करा रही हैं, या किसी अन्य दवा या हर्बल सप्लीमेंट का उपयोग कर रही हैं, तो अपने डॉक्टर से बात करें।
  • पारिजात (हरसिंगार) के संभावित दुष्प्रभावों के बारे में जागरूक रहें।

यदि आप पारिजात (हरसिंगार) के उपयोग से कोई दुष्प्रभाव अनुभव करते हैं, तो तुरंत अपने डॉक्टर से बात करें।

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Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं इस ब्लॉग पर रोचक और ज्ञानवर्धक जानकारियों और टिप्स यथा आयुर्वेद, हेल्थ, स्वास्थ्य टिप्स, पतंजलि आयुर्वेद, झंडू, डाबर, बैद्यनाथ, स्किन केयर आदि ओषधियों पर लेख लिखती हूँ, मेरे इस ब्लॉग पर। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें

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