तुलसी के फायदे Tulsi Ke Fayde Benefits of Tulsi
तुलसी के फायदे Tulsi Ke Fayde Benefits of Tulsi तुलसी
तुलसी की पवित्रता के बारे में हम सब जानते हैं। इसके गुणों के कारण हमारे धर्म में इसे पूजनीय माना जाता है। धार्मिक महत्त्व के अलावा इसके अन्य स्वास्थ्य से जुड़े हुए लाभ भी हैं। तुलसी में एंटी ऑक्सीडेंट्स, एंटी बेक्टेरियल और एंटी वायरल के गुण होते हैं। मलेरिया बुखार और ज्वर में तुलसी के सिद्ध उपयोग बताये गए हैं। वायरस और फ्लू में इसके अच्छे परिणाम प्राप्त होते हैं। दमा, फेफड़ों की बिमारियों, दिल की बिमारियों, मुंह से सबंधित बिमारियों, किडनी की देखभाल, त्वचा के संक्रमण और कैंसर जैसी बिमारियों में भी तुलसी के उपयोग से लाभ प्राप्त होता है। तुलसी में मुख्यतया पायरिडाक्सिन, राइबोफ्लेविन, विटामिन A , C , K, E के अलावा सोडियम, पोटेसियम, कैल्शियम, कॉपर, आयरन आदि खनिज भी पाए जाते हैं।
तुलसी का परिचय
तुलसी एक बहुवर्षीय सदाबहार जड़ी बूटी है जो भारत, श्रीलंका, और अन्य एशियाई देशों में उगती है। यह एक छोटी, शाखादार झाड़ी है जो 30 सेंटीमीटर तक लंबी हो सकती है। इसके पत्ते हरे, अंडाकार और 3-5 सेंटीमीटर लंबे होते हैं। इसके फूल सफेद या गुलाबी होते हैं और छोटे-छोटे गुच्छों में लगते हैं। तुलसी एक औषधीय पौधा है जिसका उपयोग प्राचीन काल से किया जा रहा है।
तुलसी का इंग्लिश में नाम Basil होता है।
तुलसी का वानस्पतिक नाम Ocimum sanctum है। यह Lamiaceae परिवार का सदस्य है।
तुलसी का आयुर्वेद में नाम Tulsi है। यह Rasayana वर्ग की औषधि है।
तुलसी खाने से हेल्थ को मिलते हैं कई गजब के फायदे Benefits of Tulsi Leaves
तुलसी एक बहुमुखी औषधीय पौधा है जिसका उपयोग प्राचीन काल से कई स्वास्थ्य समस्याओं के इलाज के लिए किया जाता रहा है। तुलसी में एंटीबैक्टीरियल, एंटीवायरल, एंटी-फंगल, और एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं, जो इसे कई बीमारियों के लिए एक प्रभावी उपचार बनाते हैं।
तुलसी के कुछ प्रमुख स्वास्थ्य लाभों में शामिल हैं:
तुलसी की पत्तियों का सेवन प्रतिदिन 5-10 पत्तियों तक सुरक्षित माना जाता है।
तुलसी के कुछ प्रमुख स्वास्थ्य लाभों में शामिल हैं:
- सर्दी-खांसी और फ्लू से राहत: तुलसी में एंटीवायरल और एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं जो सर्दी-खांसी और फ्लू के लक्षणों को कम करने में मदद कर सकते हैं।
- हृदय स्वास्थ्य में सुधार: तुलसी कोलेस्ट्रॉल और रक्तचाप के स्तर को कम करने में मदद कर सकती है, जो हृदय रोग के जोखिम को कम करने में मदद कर सकती है।
- प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ावा देना: तुलसी एंटीऑक्सिडेंट का एक अच्छा स्रोत है, जो मुक्त कणों से होने वाले नुकसान से कोशिकाओं की रक्षा करने में मदद करते हैं। यह प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ावा देने में भी मदद कर सकता है।
- कैंसर के जोखिम को कम करना: तुलसी में एंटीऑक्सिडेंट और अन्य यौगिक होते हैं जो कैंसर कोशिकाओं के विकास और प्रसार को रोकने में मदद कर सकते हैं।
- पाचन स्वास्थ्य को बेहतर बनाना: तुलसी पाचन में सुधार करने और पेट की समस्याओं जैसे अपच, कब्ज, और एसिडिटी से राहत पाने में मदद कर सकती है।
- त्वचा स्वास्थ्य में सुधार: तुलसी में एंटीबैक्टीरियल और एंटी-फंगल गुण होते हैं जो त्वचा की समस्याओं जैसे मुँहासे, एक्जिमा, और सोरायसिस से राहत पाने में मदद कर सकते हैं।
- मसूड़ों के स्वास्थ्य में सुधार: तुलसी में एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं जो मसूड़ों की बीमारी और दांतों की सड़न से बचाने में मदद कर सकते हैं।
तुलसी के सेवन के संभावित दुष्प्रभाव
तुलसी आमतौर पर सुरक्षित होती है, लेकिन कुछ लोगों को इससे एलर्जी हो सकती है। तुलसी का सेवन करने से पहले अपने डॉक्टर से बात करना हमेशा सबसे अच्छा होता है, खासकर यदि आप कोई अन्य दवा ले रहे हैं। तुलसी की पत्तियों को ताजा या सूखा करके खाया जा सकता है। ताजा पत्तियों को चबाने से सबसे अधिक लाभ मिलता है। तुलसी की चाय बनाने के लिए, 1 कप उबलते पानी में 1 चम्मच सूखी तुलसी की पत्तियों को डालें और 5-10 मिनट के लिए ढककर रख दें। फिर छानकर पिएं। तुलसी का अर्क भी बाजार में उपलब्ध है।
तुलसी की पत्तियों का सेवन प्रतिदिन 5-10 पत्तियों तक सुरक्षित माना जाता है।
तुलसी के फायदे Tulsi Ke Fayde Benefits of Tulsi
- तुलसी प्रयोग आप निम्न प्रकार से अपने रोज मर्रा के जीवन में कर सकते हैं। तुलसी के दो से चार पत्ते चाय में डालकर सेवन करें।
- खाली पेट तुलसी के पत्ते चबाने से मौसमी बिमारियों से बचा जा सकता है।
- पान में तुलसी के दो पत्ते नियमित रूप से चबाने पर स्तंभन शक्ति मजबूत होती है।
- तुलसी के पत्तों का रस गुनगुने दूध में नियमित रूप से सेवन करने पर पुराने सरदर्द और माइग्रेन में लाभ मिलता है।
- तुलसी के पत्तों के रस में गुड़ मिलाकर चाटने से प्रसव शूल शांत होता है।
- नपुंसकता के लिए तुलसी के बीज के चूर्ण को पुराने गुड़ में मिलाकर दूध के साथ लेने पर लाभ मिलता है।
- स्वाद के अनुसार सब्जी और खाद्य प्रदार्थों में इसे डाल सकते हैं।
- तुलसी के अर्क का सेवन करें।
- तुलसी के पत्तों का रस पिने से कुष्ठ रोग में लाभ मिलता है।
- मलेरिया के ज्वर में भी तुलसी के लाभ प्राप्त किये जा सकते हैं। तुलसी मलेरिया का प्रतिरोधी होता है। मलेरिया के ज्वर के लिए तुलसी का क्वाथ (काढ़ा) लेने से लाभ प्राप्त होता है। इसे दिन में दो से तीन बार लेना चाहिए।
- तुलसी, नीम और गिलोय के एन्टीऑक्सडेंटस गुणों से भरपूर "आरोग्य वटी" का प्रयोग करें।
- तुलसी की दो से चार पत्तियों को रोज मुंह में रखकर सीधे चबाकर खाएं। तुलसी को ज्यादा देर तक मुंह में नहीं रखे क्योंकि इसमें पाया जाने वाला पारा दांतों के लिए हानिकारक होता है। मुंह में तुलसी चबाकर खाने से मुंह के संक्रमण और बेक्टेरिया से निजाद मिलती है। इसीलिए कुछ निर्माता इसका प्रयोग दन्त मंजन में भी करने लगे हैं।
- लॉन्ग, अदरक और तुलसी के पत्तों को उबालकर काढ़ा बनाकर पिने से सर्दी जुकाम, सरदर्द और कफ के विकारों में लाभ होता है।
- तुलसी के पत्तों को हल्दी में पीसकर घाव पर लगाने से इन्फेक्शन नहीं होता है।
- नारियल के तेल के साथ तुलसी को बालों में लगाने से बाल स्वस्थ रहते हैं।
- तुलसी के पत्तों के सेवन से दिल से सबंधित बिमारियों से बचा जा सकता है। तुलसी रक्त शुगर को नियंत्रित करता है।
- तुलसी के पत्तों को चबाने से पाचन क्रिया सुधरती है।
- वायरल संक्रमण जैसे स्वाइन फ्लू में तुलसी का उपयोग लाभदायी होता है।
- तुलसी के नियमित प्रयोग से रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास होता है।जिन लोगों को काफी लम्बे समय से स्वसन सबंधी विकार हैं वो तुलसी के पत्तों को पीस कर गुनगुने दूध के साथ इसका सेवन करें लाभ होगा।
- सुबह नियमित रूप से तुलसी के दो से तीन पत्ते चबाने से रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास होता है।
- नियमित रूप से चाय में तुलसी के पत्ते डालकर पियें।
- तेज बुखार होने पर तुलसी के दो से चार पत्ते इलायची के साथ उबालकर देने से लाभ मिलता है।
- नियमित रूप से तुलसी के पत्ते चबाने से मानसिक विकार दूर होते हैं।
- शरीर में यदि कहीं घाव हो जाए तो हल्दी के साथ पीस कर इसका पेस्ट लगाने पर घाव शीघ्र भरता है।
- तुलसी का रस अदरक के रस में मिलाकर शहद के साथ एक चम्मच लेने से सर्दी जुकाम दूर होती है।
- तुलसी के सेवन से इम्युनिटी बढ़ती है और वायरल इन्फेक्शन से बचाव होता है।
- तुलसी की छाया शुष्क मंजरी के 1-2 ग्राम चूरन को शहद के साथ खाने से सिर से संबंधित बीमारियों में लाभ मिलता है।
- रोजाना तुलसी के पत्ते चबाने से बुद्धि, और मस्तिष्क की शक्ति बढ़ती है।
- तुलसी के तेल को सर पर लगाने से जुंए समाप्त हो जाती हैं और बालों में डेंड्रफ नहीं होता है।
- तुलसी के पत्तों के रस को गर्म करके दो-दो बूंद कान में टपकाने से कान का दर्द दूर होता है।
- पुरुषों की शारीरिक कमजोरी में तुलसी के बीज का इस्तेमाल काफी फायदेमंद होता है। यौन-दुर्बलता और नपुंसकता के लिए तुलसी के बीज का नियमित इस्तेमाल फायदेमंद रहता है।
- तुलसी और काली मिर्च के चूर्ण की गोली बनाकर दांतों के नीचे रखने से दांत के दर्द में राहत मिलती है।
- मासिक चक्र की अनियमितता को दूर करने के लिए तुलसी के पत्तों नियमित सेवन लाभप्रद होता है।
- तुलसी के पत्तों को जीरे के साथ मिलाकर पीसकर इसके चूर्ण को दिन में 3-4 बार चाटते पर दस्त रूक जाते हैं।
- तुलसी के सेवन से दमा और टीबी से बचाव होता है।
- तुलसी चूर्ण (दो से चार ग्राम ) को सुबह-शाम दूध के साथ सेवन करने से गठिया के दर्द में फायदा मिलता है।
- तुलसी की 9 पत्तियों को काली मिर्च के के साथ पीस कर चूर्ण बनाकर इसका सेवन करने से मलेरिया और टाइफाइड में लाभ मिलता है।
- अक्सर छोटे बच्चे सर्दी और जुकाम से पीड़ित रहते हैं इसके लिए तुलसी और अदरक रस को शहद में मिलाकर चटाने से कफ और सर्दी-जुकाम ठीक होता है।
- तुलसी की जड़ को सोंठ में मिलाकर पीस लें और इसके चूर्ण को पानी के साथ रोज़ सुबह-सुबह पीने से कुष्ठ रोग में लाभ प्राप्त किया जा सकता है।
- तुलसी का काढ़ा पीने से माइग्रेन और साइनस में आराम मिलता है।
- आपके मुंह से बदबू आ रही हो तो तुलसी के कुछ पत्तों को चबा लें इससे मुंह की दुर्गन्ध दूर होती है और आपकी साँसे ताजा बनी रहती हैं, ऐसा तुलसी के एंटी बैक्ट्रियल गुणों के कारण होता है।
- त्वचा संबंधी रोगों में भी तुलसी का प्रयोग लाभ दायी होता है। तुलसी के पेस्ट को लगाने से कील-मुहांसे खत्म हो जाते हैं और चेहरा साफ होता है।
- श्यामा (काली तुलसी ) तुलसी के पत्तों का दो-दो बूंद रस 14 दिनों तक आंखों में डालने से रतौंधी रोग में लाभ मिलता है।
- तुलसी की जड़, पत्ती, डंठल, फल और बीज का चूर्ण बनाकर पुराने गुड़ के साथ मिलाकर लेने से गठिया जैसे रोगों में लाभ मिलता है।
- आयुर्वेद के अनुसार तुलसी के तेल को नियमित रुप से चेहरे पर लगाने से चेहरे की रंगत साफ होती है और चेहरे में निखार आता है।
- तुलसी के कुछ पत्ते और अंरडी के कोपलों के साथ चुटकी भर नमक मिलाकर इसे पीस लें और इसे कान के पीछे की और लगाने से सूजन दूर होती है।
- तुलसी के 9 पत्ते, 3 काली मिर्च और 2 बादाम को पीसकर आधा गिलास पानी में एक चम्मच शहद के साथ लेने से सभी प्रकार के हृदय रोग ठीक हो जाते हैं
- काली मिर्च और तुलसी के पत्तों की गोली बनाकर दांतों के नीचे रखने से दांत दर्द ठीक हो जाता है।
- दुर्बलता और नपुंसकता के लिए तुलसी के बीजों का सेवन करना लाभप्रद माना जाता है।
- तुलसी के पत्तों के रस को गुनगुने पानी में मिलाकर कुल्ला करने से गले का संक्रमण दूर होता है और खरांस दूर होता है।
- तुलसी के पत्तों का रस, सोंठ, प्याज का रस और शहद को मिलाकर लेने से अस्थमा और खांसी में राहत मिलती है।
अनियमित पीरियड्स की समस्या में
अनियमित पीरियड्स की समस्या में तुलसी के बीज और पत्तों का इस्तेमाल फायदेमंद होता है। तुलसी में एंटीऑक्सीडेंट, एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीमाइक्रोबियल गुण होते हैं, जो हार्मोनल असंतुलन को दूर करने में मदद करते हैं।सर्दी में खास महत्त्व है तुलसी का
सर्दी में तुलसी का काढ़ा पीना बहुत फायदेमंद होता है। तुलसी में एंटीवायरल, एंटीबैक्टीरियल और एंटीफंगल गुण होते हैं, जो सर्दी और बुखार के लक्षणों को कम करने में मदद करते हैं। तुलसी एक आयुर्वेदिक औषधि है, जो कई तरह की बीमारियों के इलाज में उपयोगी होती है। सर्दी और बुखार के लिए तुलसी का काढ़ा या गोलियां एक सुरक्षित और प्रभावी उपाय है।सांस की दुर्गंध दूर करने के लिए
सांस की दुर्गंध दूर करने के लिए तुलसी के पत्ते बहुत फायदेमंद होते हैं। तुलसी में एंटीऑक्सीडेंट, एंटीमाइक्रोबियल और एंटीफंगल गुण होते हैं, जो मुंह में मौजूद बैक्टीरिया को मारकर सांस की दुर्गंध को दूर करने में मदद करते हैं। तुलसी एक आयुर्वेदिक औषधि है, जो सांस की दुर्गंध दूर करने में एक सुरक्षित और प्रभावी उपाय है।विभिन्न भाषाओं में तुलसी के नाम
- तमिल-तुलशी (Tulashi) தமிழ்: துளசி
- तेलुगु-गग्गेर चेट्टु (Gagger chettu) తెలుగు: గగ్గెర్ చెట్టు
- संस्कृत-तुलसी, सुरसा, देवदुन्दुभि, अपेतराक्षसी, सुलभा, बहुमञ्जरी, गौरी, भूतघ्नी
- हिन्दी-तुलसी, वृन्दा
- ओड़िया-तुलसी (Tulasi) ଓଡ଼ିଆ: ତୁଳସୀ
- कन्नड़-एरेड तुलसी (Ared tulsi) ಕನ್ನಡ: ಎರಡು ತುಳಸಿ
- गुजराती-तुलसी (Tulasi)-ગુજરાતી: તુલસી
- बंगाली-तुलसी (Tulasi)-বাংলা: তুলসী
- नेपाली-तुलसी (Tulasi)-नेपाली: तुलसी
- मराठी-तुलस (Tulas)-मराठी: तुळस
- मलयालम-कृष्णतुलसी (Krishantulasi) മലയാളം: കൃഷ്ണതുളസി
- अरबी-दोहश (Dohsh)-عربي: دوش
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