बरसो से छुपी जो इस दिल में वो बात मुझे भी कहने दो

बरसो से छुपी जो इस दिल में वो बात मुझे भी कहने दो


बरसों से छुपी जो इस दिल में
वो बात मुझे भी कहने दो
सब देख लिए सुख दुनिया के
अब चरणों की छाँव में रहने दो
बरसों से छुपी जो इस दिल में।

डूब रहा था भवसागर में
हाथ पकड़ के तुमने बचाया
अब श्याम नाम की गंगा में
मन बहता है तो बहने दो
सब देख लिए सुख दुनिया के
अब चरणों की छाँव में रहने दो
बरसों से छुपी जो इस दिल में।

सपनों में जो घर थे बनाए
आँख खुली तो कुछ भी नहीं था
ऐसे महलों का क्या मतलब
ये ढहते हैं तो ढहने दो
सब देख लिए सुख दुनिया के
अब चरणों की छाँव में रहने दो
बरसों से छुपी जो इस दिल में।

हाथ छुड़ाकर दूर गए जो
अब उनसे उम्मीद करूँ क्या
पग पग मेरे जो साथ रहा
उस श्याम की बाँहें गहने दो
सब देख लिए सुख दुनिया के
अब चरणों की छाँव में रहने दो
बरसों से छुपी जो इस दिल में।

बरसों से छुपी जो इस दिल में
वो बात मुझे भी कहने दो
सब देख लिए सुख दुनिया के
अब चरणों की छाँव में रहने दो
बरसों से छुपी जो इस दिल में।


बरसों से छुपी दिल की बात - New Shyam Bhajan - Panna lakha Gil - Saawariya

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Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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