आओ ना तुम काहे को देर लगाई साईं भजन
आओ ना तुम काहे को देर लगाई साईं भजन
मैं क्या जानूं भक्ति क्या है, मैंने तो प्रेम किया है,
और साईं, मैंने तुमको दिल से याद किया है,
आओ न तुम, काहे को देर लगाई।।
तेरे भक्त हज़ारों लाखों, मैं न जानूं पूजा,
किसको पूजूं, तेरे बिन कोई आए नज़र ना दूजा,
तेरे प्रेम में सुबह-शाम, धड़के मेरा जिया है,
और साईं, मैंने तुमको दिल से याद किया है,
आओ न तुम, काहे को देर लगाई।।
तेरे चरणों में संगम है, क्यों मैं तीर्थ जाऊं,
बस जाऊं तेरे हृदय में, जब चाहूं तब पाऊं,
मेरी सांसों की सारंगी, करती पिया-पिया है,
आओ न तुम, काहे को देर लगाई।।
बुझा हुआ है दीपक मेरा, साईं आओ जलाओ,
पल-पल मरता, मौत नई नित मुझको आं जिआओ,
अपने अश्कों से हर्ष तेरा, अभिषेक किया है,
आओ न तुम, काहे को देर लगाई।।
और साईं, मैंने तुमको दिल से याद किया है,
आओ न तुम, काहे को देर लगाई।।
तेरे भक्त हज़ारों लाखों, मैं न जानूं पूजा,
किसको पूजूं, तेरे बिन कोई आए नज़र ना दूजा,
तेरे प्रेम में सुबह-शाम, धड़के मेरा जिया है,
और साईं, मैंने तुमको दिल से याद किया है,
आओ न तुम, काहे को देर लगाई।।
तेरे चरणों में संगम है, क्यों मैं तीर्थ जाऊं,
बस जाऊं तेरे हृदय में, जब चाहूं तब पाऊं,
मेरी सांसों की सारंगी, करती पिया-पिया है,
आओ न तुम, काहे को देर लगाई।।
बुझा हुआ है दीपक मेरा, साईं आओ जलाओ,
पल-पल मरता, मौत नई नित मुझको आं जिआओ,
अपने अश्कों से हर्ष तेरा, अभिषेक किया है,
आओ न तुम, काहे को देर लगाई।।
Shirdi Special Sai Baba Bhajan | Aao Sai - आओ साई | Ravindra Kabir | Sai Song #JMD Music & Films
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➤Song Name: Aao Sai
➤Singer - Ravindra Kabir
➤Album - Aao Sai
➤Writer - Shiv (Harsh)
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➤Album - Aao Sai
➤Writer - Shiv (Harsh)
इस प्रार्थना में भक्त का सच्चा प्रेम और सरलता झलकती है, जहाँ वह भक्ति के जटिल नियमों को नहीं जानता, बस अपने साईं को दिल से याद करता है। उसके लिए पूजा-पाठ या तीर्थयात्रा से बढ़कर साईं के प्रति प्रेम और समर्पण ही सबसे बड़ा साधन है। वह मानता है कि साईं के चरणों में ही सब तीर्थ हैं और साईं का नाम ही उसके जीवन का सबसे बड़ा संबल है।
भक्त की तड़प है कि उसका दीपक बुझ चुका है, अब साईं ही आकर उसके जीवन में फिर से उजाला करें। उसके लिए सांस-सांस में साईं का स्मरण ही सबसे बड़ी आराधना है। वह अपने आंसुओं से साईं का अभिषेक करता है और सच्चे दिल से उन्हें पुकारता है, ताकि साईं उसकी पुकार सुनकर उसकी जिंदगी में प्रेम, उजाला और शांति भर दें।
भक्त की तड़प है कि उसका दीपक बुझ चुका है, अब साईं ही आकर उसके जीवन में फिर से उजाला करें। उसके लिए सांस-सांस में साईं का स्मरण ही सबसे बड़ी आराधना है। वह अपने आंसुओं से साईं का अभिषेक करता है और सच्चे दिल से उन्हें पुकारता है, ताकि साईं उसकी पुकार सुनकर उसकी जिंदगी में प्रेम, उजाला और शांति भर दें।
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Author - Saroj Jangir
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