जग का रिश्ता कच्चा धागा साई का रिश्ता पकी डोर
जग का रिश्ता कच्चा धागा साई का रिश्ता पकी डोर
जग का रिश्ता कच्चा धागा, साईं का रिश्ता पकी डोर,
जग की ओर तू क्या देखता है, देखता जा तू साईं की ओर,
जग का रिश्ता कच्चा धागा...।।
संगी साथी अपने पराए, कोई भी तेरे काम न आए,
मांगे फूल मिले अंगारे, तूने क्या-क्या धोखे खाए,
सुन ले अब साईं के नग्मे, बहुत सुना अब दुनिया का शोर,
जग का रिश्ता कच्चा धागा...।।
मिट्टी, पत्थर, चांदी, सोना, जिसने समझा एक बराबर,
वही है केवल असली योगी, छोड़ दे जो माया का चक्कर,
मांग ले वो साईं से शक्ति, जो समझे खुद को कमजोर,
जग का रिश्ता कच्चा धागा...।।
कोई न जाने साईं जाने, क्या-क्या लेकर क्या-क्या देगा,
बंदा लाख करे मन मानी, वो होगा जो वो चाहेगा,
ताले से भी ताल नहीं सकती, होनी पर है किसका जोर,
जग का रिश्ता कच्चा धागा, साईं का रिश्ता पकी डोर।।
जग की ओर तू क्या देखता है, देखता जा तू साईं की ओर,
जग का रिश्ता कच्चा धागा...।।
संगी साथी अपने पराए, कोई भी तेरे काम न आए,
मांगे फूल मिले अंगारे, तूने क्या-क्या धोखे खाए,
सुन ले अब साईं के नग्मे, बहुत सुना अब दुनिया का शोर,
जग का रिश्ता कच्चा धागा...।।
मिट्टी, पत्थर, चांदी, सोना, जिसने समझा एक बराबर,
वही है केवल असली योगी, छोड़ दे जो माया का चक्कर,
मांग ले वो साईं से शक्ति, जो समझे खुद को कमजोर,
जग का रिश्ता कच्चा धागा...।।
कोई न जाने साईं जाने, क्या-क्या लेकर क्या-क्या देगा,
बंदा लाख करे मन मानी, वो होगा जो वो चाहेगा,
ताले से भी ताल नहीं सकती, होनी पर है किसका जोर,
जग का रिश्ता कच्चा धागा, साईं का रिश्ता पकी डोर।।
Jag Ka Rishta [Full Song] Sai Rishta
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Bhajan: Jag Ka Rishta
Singer: Manhar Udhas
Music Director: Pt.K. Razdan
Lyricist: Pt.K. Razdan
Album: Sai Rishta
Music Label: T-Series
Singer: Manhar Udhas
Music Director: Pt.K. Razdan
Lyricist: Pt.K. Razdan
Album: Sai Rishta
Music Label: T-Series
संसार के रिश्ते और संबंध अक्सर परिस्थितियों, स्वार्थ और समय के अनुसार बदलते रहते हैं। जब जीवन में कठिनाइयाँ आती हैं, तो कई बार अपने भी पराये हो जाते हैं और जिनसे सबसे अधिक उम्मीद होती है, वे भी साथ छोड़ देते हैं। भौतिक सुख-सुविधाएँ, धन-दौलत, और सामाजिक प्रतिष्ठा भी क्षणभंगुर हैं—इनकी स्थिरता पर कभी भरोसा नहीं किया जा सकता। यही कारण है कि जब मनुष्य केवल संसार की ओर देखता है, तो उसे बार-बार निराशा, धोखा और अकेलापन मिलता है। लेकिन जब वह अपनी दृष्टि को सांसारिक आकर्षणों से हटाकर किसी स्थायी, दिव्य और अटूट संबंध की ओर मोड़ता है, तो उसे सच्चा संबल और शांति प्राप्त होती है।
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Author - Saroj Jangir
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