मैं हर ग्यारस को आऊं तेरे दरबार सांवरे

मैं हर ग्यारस को आऊं तेरे दरबार सांवरे

तूने इतना दिया है मुझको,
हर बार सांवरे,
मैं हर ग्यारस को आऊं,
तेरे दरबार सांवरे।।

तेरे नाम का महल खजाना,
अब तक है मैंने कमाया,
जब भी घबराता हूं मैं,
तू दौड़ा-दौड़ा आया,
अब होता रहे बस तेरा,
दीदार सांवरे,
मैं हर ग्यारस को आऊं,
तेरे दरबार सांवरे।।

मैं खर्च नहीं कर पाता,
तू देता है हर बारी,
तू बात न माने मेरी,
मैं मना करूं सौ बारी,
मेरे जैसे पागल को,
किया स्वीकार सांवरे,
मैं हर ग्यारस को आऊं,
तेरे दरबार सांवरे।।

एक वादा कर ले मुझसे,
हर बार बुलाते रहना,
मैं हूं कठपुतली तेरी,
तू यूं ही नचाते रहना,
‘रवि फौजी’ रहेगा,
कर्जदार सांवरे,
मैं हर ग्यारस को आऊं,
तेरे दरबार सांवरे।।

तूने इतना दिया है मुझको,
हर बार सांवरे,
मैं हर ग्यारस को आऊं,
तेरे दरबार सांवरे।।


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Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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