‘Argala Stotram’ is song dedicated to a form of mother goddess, to whom is referred as Devi or Durga. It is a hymn from the Durga Saptashati which is chapter seven in the markandeya Purana.It is to be noted that Durga Saptashati is a combination of seven hundred verses in praise of Devi. Argala Stotram precedes Hadaka Kumarivandane which is a part of Durga Saptashati or Devi Mahatmya. While interpreting the word “Argala” it means “obstacles” The hymn is sung to the tune of Devi to ward off all the barriers in ones path. There are 21 stanzas in the hymn which speaks about the different aspects of the Devi along with her qualities. Argala Stotram is also thought that it has the power to shower blessings and remove all forms of hindrances in one’s life if chanted devotedly and sincerely.
अर्गलास्तोत्रम मीनिंग लिरिक्स Argalastotram Meaning Translation Lyrics
Argalastotram Lyricsअथार्गलास्तोत्रम्
ॐ अस्य श्रीअर्गलास्तोत्रमन्त्रस्य विष्णुर्ऋषिः,अनुष्टुप् छन्दः,
श्रीमहालक्ष्मीर्देवता, श्रीजगदम्बाप्रीतयेसप्तशतीपाठाङ्गत्वेन जपे विनियोगः॥
ॐ नमश्चण्डिकायै॥
मार्कण्डेय उवाच
ॐ जयन्ती मङ्गला काली भद्रकाली कपालिनी।
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तु ते॥1॥
जय त्वं देवि चामुण्डे जय भूतार्तिहारिणि।
जय सर्वगते देवि कालरात्रि नमोऽस्तु ते॥2॥
मधुकैटभविद्राविविधातृवरदे नमः।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥3॥
महिषासुरनिर्णाशि भक्तानां सुखदे नमः।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥4॥
रक्तबीजवधे देवि चण्डमुण्डविनाशिनि।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥5॥
शुम्भस्यैव निशुम्भस्य धूम्राक्षस्य च मर्दिनि।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥6॥
वन्दिताङ्घ्रियुगे देवि सर्वसौभाग्यदायिनि।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥7॥
अचिन्त्यरुपचरिते सर्वशत्रुविनाशिनि।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥8॥
नतेभ्यः सर्वदा भक्त्या चण्डिके दुरितापहे।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥9॥
स्तुवद्भ्यो भक्तिपूर्वं त्वां चण्डिके व्याधिनाशिनि।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि१॥10॥
चण्डिके सततं ये त्वामर्चयन्तीह भक्तितः।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥11॥
देहि सौभाग्यमारोग्यं देहि मे परमं सुखम्।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥12॥
विधेहि द्विषतां नाशं विधेहि बलमुच्चकैः।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥13॥
विधेहि देवि कल्याणं विधेहि परमां श्रियम्।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥14॥
सुरासुरशिरोरत्ननिघृष्टचरणेऽम्बिके।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥15॥
विद्यावन्तं यशस्वन्तं लक्ष्मीवन्तं जनं कुरु।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥16॥
प्रचण्डदैत्यदर्पघ्ने चण्डिके प्रणताय मे।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥17॥
चतुर्भुजे चतुर्वक्त्रसंस्तुते परमेश्वरि।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥18॥
कृष्णेन संस्तुते देवि शश्वद्भक्त्या सदाम्बिके।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥19॥
हिमाचलसुतानाथसंस्तुते परमेश्वरि।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥20॥
इन्द्राणीपतिसद्भावपूजिते परमेश्वरि।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥21॥
देवि प्रचण्डदोर्दण्डदैत्यदर्पविनाशिनि।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥22॥
देवि भक्तजनोद्दामदत्तानन्दोदयेऽम्बिके।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥23॥
पत्नीं मनोरमां देहि मनोवृत्तानुसारिणीम्।
तारिणीं दुर्गसंसारसागरस्य कुलोद्भवाम्॥24॥
इदं स्तोत्रं पठित्वा तु महास्तोत्रं पठेन्नरः।
स तु सप्तशतीसंख्यावरमाप्नोति सम्पदाम्॥25॥
॥ इति देव्या अर्गलास्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥
ॐ अस्य श्रीअर्गलास्तोत्रमन्त्रस्य विष्णुर्ऋषिः,अनुष्टुप् छन्दः,
श्रीमहालक्ष्मीर्देवता, श्रीजगदम्बाप्रीतयेसप्तशतीपाठाङ्गत्वेन जपे विनियोगः॥
ॐ नमश्चण्डिकायै॥
मार्कण्डेय उवाच
ॐ जयन्ती मङ्गला काली भद्रकाली कपालिनी।
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तु ते॥1॥
जय त्वं देवि चामुण्डे जय भूतार्तिहारिणि।
जय सर्वगते देवि कालरात्रि नमोऽस्तु ते॥2॥
मधुकैटभविद्राविविधातृवरदे नमः।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥3॥
महिषासुरनिर्णाशि भक्तानां सुखदे नमः।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥4॥
रक्तबीजवधे देवि चण्डमुण्डविनाशिनि।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥5॥
शुम्भस्यैव निशुम्भस्य धूम्राक्षस्य च मर्दिनि।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥6॥
वन्दिताङ्घ्रियुगे देवि सर्वसौभाग्यदायिनि।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥7॥
अचिन्त्यरुपचरिते सर्वशत्रुविनाशिनि।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥8॥
नतेभ्यः सर्वदा भक्त्या चण्डिके दुरितापहे।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥9॥
स्तुवद्भ्यो भक्तिपूर्वं त्वां चण्डिके व्याधिनाशिनि।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि१॥10॥
चण्डिके सततं ये त्वामर्चयन्तीह भक्तितः।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥11॥
देहि सौभाग्यमारोग्यं देहि मे परमं सुखम्।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥12॥
विधेहि द्विषतां नाशं विधेहि बलमुच्चकैः।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥13॥
विधेहि देवि कल्याणं विधेहि परमां श्रियम्।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥14॥
सुरासुरशिरोरत्ननिघृष्टचरणेऽम्बिके।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥15॥
विद्यावन्तं यशस्वन्तं लक्ष्मीवन्तं जनं कुरु।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥16॥
प्रचण्डदैत्यदर्पघ्ने चण्डिके प्रणताय मे।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥17॥
चतुर्भुजे चतुर्वक्त्रसंस्तुते परमेश्वरि।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥18॥
कृष्णेन संस्तुते देवि शश्वद्भक्त्या सदाम्बिके।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥19॥
हिमाचलसुतानाथसंस्तुते परमेश्वरि।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥20॥
इन्द्राणीपतिसद्भावपूजिते परमेश्वरि।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥21॥
देवि प्रचण्डदोर्दण्डदैत्यदर्पविनाशिनि।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥22॥
देवि भक्तजनोद्दामदत्तानन्दोदयेऽम्बिके।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥23॥
पत्नीं मनोरमां देहि मनोवृत्तानुसारिणीम्।
तारिणीं दुर्गसंसारसागरस्य कुलोद्भवाम्॥24॥
इदं स्तोत्रं पठित्वा तु महास्तोत्रं पठेन्नरः।
स तु सप्तशतीसंख्यावरमाप्नोति सम्पदाम्॥25॥
॥ इति देव्या अर्गलास्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥
Argala Stotram Meaning in English
श्रीअर्गलास्तोत्रमन्त्रस्य विष्णुरृषिः, ॐ अस् , इति संकेत: | Vishnu is the sage of this Shri Argala Stotram, which follows the Anushtup meter, a poetic measure and exalts the divine mother. "
श्रीमहालक्ष्मीर्देवता, श्रीजगदम्बाप्रीतयेसप्तशतीपाठाङ्गत्वेन जपे विनियोगः॥ -Shri Mahalakshmi is the divine presence in this Shri Argala Stotram, which is chanted as a component of the recitation or path of the Shri Durga Saptashati to seek blessings from the adored Goddess who encompasses all aspects of creation.
नमः चंडिकायै - "हे नीलस्त्रोतपर्णि (केवल परंपरा में प्राचीन कshownr हु- सु) , तुम्हें मेरा
The seer of this hymn is Lord Vishnu known as the Rishi, the meter used is Anushtup, and it is chanted to appease and seek blessings from Goddess Mahalakshmi, who is revered as the beloved Goddess of the universe. As a part of its path or recitation, this hymn is included in the Saptashati or Devi Mahatmya. The hymn begins with the sacred sound of Om and ends with salutations to Goddess Chandika.
ॐ काली भद्रकाली कपालिनी, जयंति मङ्गलम्- Om, hail Kali, the dark goddess of time and the one with the garland of skulls. May victory and auspiciousness be upon her.
नमस्ते दुर्गा, क्षमा, शिवा, धात्री, स्वाहा और स्वधान ।
त्वं जयोत्सुका देवि, भूतानां सर्वरोगहन्त्री - Victory to you, O Devi, the bringer of joy and the remover of all afflictions.
जय सर्वांग महिषासुरमर्दिनि काली! Salutations to you.
नमः मधुकैटभ विद्राअपरीत्येमि-
Salutations to you, who defeated the demons Madhu and Kaitabha. रुपं देहि, जयं मिलाऊं, प्रसिद्धि सहाएको होइनमा करीवलम्बताकै–Grant me beauty and empower me to achieve victory; let success be my ally instead of removing my enemies.
रक्तबीजवधे देवि चण्डमुण्डविनाशिनि। - Meaning: O Devi, who vanquished Chanda and Munda, the offspring of the demon Raktbeej.
जिसके द्वारा मैं चमत्कार, सफलता और सुनहरी कोपियों प्राप्त करूँ, उसी को ह्रेष्ट-प्रेष्ठ - Meaning: I request to be bestowed with beauty, triumph, renown while ensuring the downfall of my adversaries.
शुम्भस्यैव निशुम्भस्य धूम्राक्षस्य च मर्दिनि-Meaning: O Devi, who has slain demons Shumbha, Nishumbha and Dhumraksha.
तुम वैभव दो, जीत मिले संसार का॥ - Meaning: Grant me beauty, triumph, renown, and eliminate those who oppose me.
वन्दिताङ्घ्रियुगे देवि सर्वसौभाग्यदायिनि। - O revered goddess, whose feet are adored, the bestower of abundance and blessings.
अपने रूप को, विजय को, सम्मान को, और दुश्मनता को मिटा-हटा॥ - Bless us with beauty, triumph, glory, and eliminate our foes.
अचिन्त्यरुपचरिते सर्वशत्रुविनाशिनि। -Oh you, who possesses unfathomable attributes and engages in inexplicable behaviors, the vanquisher of every adversary.
तुम मेरी उपासना को स्वरूप, विजय और प्रशंसा हो, दुश्मन को पराभूत करो॥ - रूपं प्रदान कीजिए, विजय स्थापित कीजिए, महत्ता प्रस्तुत कीजिए; शत्रुता हरे। (rūpaṃ pradā
Bestow upon us beauty, triumph, renown, and vanquish our adversaries.
सदैव चाण्डिका मुनींद्रेभ्यो हरिसमर्पितकृते सर्वे पापानि निर्मुचन्तु। -I offer my unwavering devotion to you, O Chandi, the one who eradicates all obstacles.
जहां रुप दो, वहाँ सफलता, मन्यता के पीछे हिस्सेदार। -Please bestow upon me attractiveness, triumph, and renown, while obliterating those who oppose me.
भक्तिपूर्वं तुम स्तुति करनेवाली, हे चण्डिका! आप महामारी को परास्त करनेवाली हो। -With devotion, I praise you, O Chandi, the one who eradicates ailments.
देहं त्यागि मुक्तिं प्राप्स्ये ॥ - May I be blessed with attractiveness, triumph, and renown, while vanquishing those who oppose me.
श्रीमहालक्ष्मीर्देवता, श्रीजगदम्बाप्रीतयेसप्तशतीपाठाङ्गत्वेन जपे विनियोगः॥ -Shri Mahalakshmi is the divine presence in this Shri Argala Stotram, which is chanted as a component of the recitation or path of the Shri Durga Saptashati to seek blessings from the adored Goddess who encompasses all aspects of creation.
नमः चंडिकायै - "हे नीलस्त्रोतपर्णि (केवल परंपरा में प्राचीन कshownr हु- सु) , तुम्हें मेरा
The seer of this hymn is Lord Vishnu known as the Rishi, the meter used is Anushtup, and it is chanted to appease and seek blessings from Goddess Mahalakshmi, who is revered as the beloved Goddess of the universe. As a part of its path or recitation, this hymn is included in the Saptashati or Devi Mahatmya. The hymn begins with the sacred sound of Om and ends with salutations to Goddess Chandika.
ॐ काली भद्रकाली कपालिनी, जयंति मङ्गलम्- Om, hail Kali, the dark goddess of time and the one with the garland of skulls. May victory and auspiciousness be upon her.
नमस्ते दुर्गा, क्षमा, शिवा, धात्री, स्वाहा और स्वधान ।
त्वं जयोत्सुका देवि, भूतानां सर्वरोगहन्त्री - Victory to you, O Devi, the bringer of joy and the remover of all afflictions.
जय सर्वांग महिषासुरमर्दिनि काली! Salutations to you.
नमः मधुकैटभ विद्राअपरीत्येमि-
Salutations to you, who defeated the demons Madhu and Kaitabha. रुपं देहि, जयं मिलाऊं, प्रसिद्धि सहाएको होइनमा करीवलम्बताकै–Grant me beauty and empower me to achieve victory; let success be my ally instead of removing my enemies.
रक्तबीजवधे देवि चण्डमुण्डविनाशिनि। - Meaning: O Devi, who vanquished Chanda and Munda, the offspring of the demon Raktbeej.
जिसके द्वारा मैं चमत्कार, सफलता और सुनहरी कोपियों प्राप्त करूँ, उसी को ह्रेष्ट-प्रेष्ठ - Meaning: I request to be bestowed with beauty, triumph, renown while ensuring the downfall of my adversaries.
शुम्भस्यैव निशुम्भस्य धूम्राक्षस्य च मर्दिनि-Meaning: O Devi, who has slain demons Shumbha, Nishumbha and Dhumraksha.
तुम वैभव दो, जीत मिले संसार का॥ - Meaning: Grant me beauty, triumph, renown, and eliminate those who oppose me.
वन्दिताङ्घ्रियुगे देवि सर्वसौभाग्यदायिनि। - O revered goddess, whose feet are adored, the bestower of abundance and blessings.
अपने रूप को, विजय को, सम्मान को, और दुश्मनता को मिटा-हटा॥ - Bless us with beauty, triumph, glory, and eliminate our foes.
अचिन्त्यरुपचरिते सर्वशत्रुविनाशिनि। -Oh you, who possesses unfathomable attributes and engages in inexplicable behaviors, the vanquisher of every adversary.
तुम मेरी उपासना को स्वरूप, विजय और प्रशंसा हो, दुश्मन को पराभूत करो॥ - रूपं प्रदान कीजिए, विजय स्थापित कीजिए, महत्ता प्रस्तुत कीजिए; शत्रुता हरे। (rūpaṃ pradā
Bestow upon us beauty, triumph, renown, and vanquish our adversaries.
सदैव चाण्डिका मुनींद्रेभ्यो हरिसमर्पितकृते सर्वे पापानि निर्मुचन्तु। -I offer my unwavering devotion to you, O Chandi, the one who eradicates all obstacles.
जहां रुप दो, वहाँ सफलता, मन्यता के पीछे हिस्सेदार। -Please bestow upon me attractiveness, triumph, and renown, while obliterating those who oppose me.
भक्तिपूर्वं तुम स्तुति करनेवाली, हे चण्डिका! आप महामारी को परास्त करनेवाली हो। -With devotion, I praise you, O Chandi, the one who eradicates ailments.
देहं त्यागि मुक्तिं प्राप्स्ये ॥ - May I be blessed with attractiveness, triumph, and renown, while vanquishing those who oppose me.
चण्डिके सततं ये त्वामर्चयन्तीह भक्तितः- O Chandi, those who worship you with devotion always,
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि- please give them beauty, victory, fame, and destroy their enemies.
देहि सौभाग्यमारोग्यं देहि मे परमं सुखम्- Please grant me good fortune, health, and ultimate happiness.
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि- Please give me beauty, victory, fame, and destroy my enemies.
The speaker addresses the goddess Durga, who is also known as Chandi, and praises her as the object of worship. Those who worship her with devotion are promised beauty, victory, fame, and protection from their enemies. In verse 11, the speaker asks for these blessings to be granted to those who worship the goddess.
The speaker asks the goddess to grant them good fortune, health, ultimate happiness, beauty, victory, fame, and protection from enemies. These verses are often recited by devotees seeking the blessings and protection of the goddess Durga.
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि- please give them beauty, victory, fame, and destroy their enemies.
देहि सौभाग्यमारोग्यं देहि मे परमं सुखम्- Please grant me good fortune, health, and ultimate happiness.
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि- Please give me beauty, victory, fame, and destroy my enemies.
The speaker addresses the goddess Durga, who is also known as Chandi, and praises her as the object of worship. Those who worship her with devotion are promised beauty, victory, fame, and protection from their enemies. In verse 11, the speaker asks for these blessings to be granted to those who worship the goddess.
The speaker asks the goddess to grant them good fortune, health, ultimate happiness, beauty, victory, fame, and protection from enemies. These verses are often recited by devotees seeking the blessings and protection of the goddess Durga.
विधेहि द्विषतां नाशं विधेहि बलमुच्चकैः। Destroy the enemies with force, destroy their strength.
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि- Grant beauty, victory, fame, and destroy the enemies.
विधेहि देवि कल्याणं विधेहि परमां श्रियम्- Bring auspiciousness, O Devi, bring supreme prosperity.
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि- Grant beauty, victory, fame, and destroy the enemies.
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि- Grant beauty, victory, fame, and destroy the enemies.
विधेहि देवि कल्याणं विधेहि परमां श्रियम्- Bring auspiciousness, O Devi, bring supreme prosperity.
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि- Grant beauty, victory, fame, and destroy the enemies.
सुरासुरशिरोरत्ननिघृष्टचरणेऽम्बिके।-Oh Ambika! The gems on the heads of gods and demons are being crushed by your feet.
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि=Please grant me beauty, victory, fame and destroy my enemies.
विद्यावन्तं यशस्वन्तं लक्ष्मीवन्तं जनं कुरु- Make me a person with knowledge, fame and wealth.
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि- Please grant me beauty, victory, fame and destroy my enemies.
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि=Please grant me beauty, victory, fame and destroy my enemies.
विद्यावन्तं यशस्वन्तं लक्ष्मीवन्तं जनं कुरु- Make me a person with knowledge, fame and wealth.
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि- Please grant me beauty, victory, fame and destroy my enemies.
प्रचण्डदैत्यदर्पघ्ने चण्डिके प्रणताय मे।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥17॥
Meaning: O Chandi, who destroys the pride of the fierce demons, I bow to you. Please grant me beauty, victory, fame, and remove all my enemies.
चतुर्भुजे चतुर्वक्त्रसंस्तुते परमेश्वरि।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥18॥
Meaning: O Supreme Goddess, praised for having four arms and four faces, grant me beauty, victory, fame, and remove all my enemies.
कृष्णेन संस्तुते देवि शश्वद्भक्त्या सदाम्बिके।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥19॥
Meaning: O Devi, always praised with devotion by Lord Krishna, grant me beauty, victory, fame, and remove all my enemies.
हिमाचलसुतानाथसंस्तुते परमेश्वरि।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥20॥
Meaning: O Supreme Goddess, praised by Lord Shiva, son of the Himalayas, grant me beauty, victory, fame, and remove all my enemies.
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥17॥
Meaning: O Chandi, who destroys the pride of the fierce demons, I bow to you. Please grant me beauty, victory, fame, and remove all my enemies.
चतुर्भुजे चतुर्वक्त्रसंस्तुते परमेश्वरि।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥18॥
Meaning: O Supreme Goddess, praised for having four arms and four faces, grant me beauty, victory, fame, and remove all my enemies.
कृष्णेन संस्तुते देवि शश्वद्भक्त्या सदाम्बिके।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥19॥
Meaning: O Devi, always praised with devotion by Lord Krishna, grant me beauty, victory, fame, and remove all my enemies.
हिमाचलसुतानाथसंस्तुते परमेश्वरि।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥20॥
Meaning: O Supreme Goddess, praised by Lord Shiva, son of the Himalayas, grant me beauty, victory, fame, and remove all my enemies.
इन्द्राणीपतिसद्भावपूजिते परमेश्वरि। - O supreme goddess, who is worshipped in the form of Indrani's consort.
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥21॥ - Please give me beauty, victory, fame, and destroy my enemies.
देवि प्रचण्डदोर्दण्डदैत्यदर्पविनाशिनि। - O goddess, who destroys the pride of demons with your fierce anger.
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥22॥ - Please give me beauty, victory, fame, and destroy my enemies.
देवि भक्तजनोद्दामदत्तानन्दोदयेऽम्बिके। - O mother Ambika, who gives joy to your devotees and uplifts them.
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥23॥ - Please give me beauty, victory, fame, and destroy my enemies.
पत्नीं मनोरमां देहि मनोवृत्तानुसारिणीम्। - O goddess, give me a charming wife who is compatible with my mind.
तारिणीं दुर्गसंसारसागरस्य कुलोद्भवाम्॥24॥ - O savior, who is born in the family of Durga, please save me from the ocean of this world.
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥21॥ - Please give me beauty, victory, fame, and destroy my enemies.
देवि प्रचण्डदोर्दण्डदैत्यदर्पविनाशिनि। - O goddess, who destroys the pride of demons with your fierce anger.
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥22॥ - Please give me beauty, victory, fame, and destroy my enemies.
देवि भक्तजनोद्दामदत्तानन्दोदयेऽम्बिके। - O mother Ambika, who gives joy to your devotees and uplifts them.
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥23॥ - Please give me beauty, victory, fame, and destroy my enemies.
पत्नीं मनोरमां देहि मनोवृत्तानुसारिणीम्। - O goddess, give me a charming wife who is compatible with my mind.
तारिणीं दुर्गसंसारसागरस्य कुलोद्भवाम्॥24॥ - O savior, who is born in the family of Durga, please save me from the ocean of this world.
इदं स्तोत्रं पठित्वा तु महास्तोत्रं पठेन्नरः। By reciting this stotra, a person should recite the Maha-stotra.
स तु सप्तशतीसंख्यावरमाप्नोति सम्पदाम्॥25॥ That person who recites the Maha-stotra one hundred times attains wealth.
॥ इति देव्या अर्गलास्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥ Thus ends the Argala Stotra of the Devi.
स तु सप्तशतीसंख्यावरमाप्नोति सम्पदाम्॥25॥ That person who recites the Maha-stotra one hundred times attains wealth.
॥ इति देव्या अर्गलास्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥ Thus ends the Argala Stotra of the Devi.
Argala Stotram Meaning at a glance
- I bow to the Goddess who is the remover of all obstacles and the giver of blessings.
- I bow to the Goddess who is the embodiment of divine knowledge and the destroyer of ignorance.
- I bow to the Goddess who is the source of all creativity and the power behind all manifestation.
- I bow to the Goddess who is the force of divine love and the ultimate goal of all spiritual seeking.
- I bow to the Goddess who is the source of all beauty and the embodiment of grace and elegance.
- I bow to the Goddess who is the embodiment of divine strength and the power behind all action.
- I bow to the Goddess who is the source of all wealth and prosperity and the giver of abundance.
- I bow to the Goddess who is the source of all knowledge and wisdom and the remover of all doubts and confusion.
- I bow to the Goddess who is the embodiment of divine light and the remover of all darkness and ignorance.
- I bow to the Goddess who is the source of all power and the force behind all creation and destruction.
- I bow to the Goddess who is the source of all peace and the embodiment of divine tranquility.
- I bow to the Goddess who is the embodiment of divine grace and the giver of all blessings.
- I bow to the Goddess who is the source of all healing and the remover of all pain and suffering.
- I bow to the Goddess who is the embodiment of divine truth and the remover of all falsehood and deception.
- I bow to the Goddess who is the source of all courage and the embodiment of fearlessness.
- I bow to the Goddess who is the source of all happiness and the giver of all joy and bliss.
- I bow to the Goddess who is the embodiment of divine beauty and the source of all inspiration.
- I bow to the Goddess who is the source of all devotion and the embodiment of divine love.
- I bow to the Goddess who is the source of all wisdom and the embodiment of divine knowledge.
- I bow to the Goddess who is the source of all protection and the remover of all danger and harm.
- I bow to the Goddess who is the embodiment of divine justice and the giver of all blessings.
- I bow to the Goddess who is the source of all purity and the embodiment of divine virtue.
- I bow to the Goddess who is the source of all auspiciousness and the remover of all obstacles.
- I bow to the Goddess who is the embodiment of divine power and the giver of all blessings.
- I bow to the Goddess who is the source of all existence and the embodiment of divine consciousness.
The Shri Argala Stotram is a prayer, or hymn in the form where the devotee is to shower praises on the deity – in this case, the Divine Mother or Durga or Devi. There are many legends and stories heard about this stotram but it is said that even if one chants this stotram with true feelings and with reverence then he / she will be blessed with lot of merits in life – both earthly and heavenly.
Here are some of the significance of the Argala
Here are some of the significance of the Argala
Removal of obstacles: The hymn starts by calling upon the Goddess as the one who destroys the barriers to ones success. It is effective to pray the stotram to eradicate all the barriers that one could be experiencing in his or her life.
Blessings and grace: It is an appropriate hymn which describes the different aspects and forms of Mother Goddess, and chanting of this hymn can bestow the divine blessings of the deity.
Spiritual growth: Argala Stotram is considered to be very effective in the practise of spiritual transformation. In this sense it is considered that by chanting the stotram in harmonic intentions one is able to improve ones spiritual journey.
Protection and safety: In the hymn there are many words and phrases that refer to the protection provided by the Goddess and to the elimination of danger and evil. Still, it is perceived that uttering the stotram would help in gaining protection or safety to the person who recites it.
Material prosperity: The fourth Stotram of Argala includes the Ashta Lakshmi form of Goddess referring to her as the bestower of all forms of wealth. According to the knowledge available, when the stotram is chanted with faith and purity it tends to bring in wealth and prosperity into ones life.
Argala Stotram Hindi Meanin with Lyrics
ॐ जयन्ती मङ्गला काली भद्रकाली कपालिनी।यह श्लोक देवी काली की स्तुति है। यह श्लोक देवी के विभिन्न रूपों को समर्पित है। इसमें देवी को विजयी, मंगल करने वाली, काली, भद्र काली, कपालिनी, दुर्गा, क्षमा, शिवा और धात्री कहा गया है। इस श्लोक के अंत में अर्पण के लिए स्वाहा और पूजा के लिए स्वधा बोला जाता है।
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तु ते॥1॥
ॐ - ओम जो की ब्रह्मांड का आदि और अंत है।
जयन्ती - विजयी।
मङ्गला - शुभ।
काली - भगवती काली, एक देवी जो शक्ति की प्रतिनिधि है।
भद्रकाली - देवी काली का एक रूप।
कपालिनी - देवी काली का एक रूप जो खोपड़ी (कपाल) धारण करती है।
दुर्गा - देवी दुर्गा, शक्ति की देवी और सबसे प्रसिद्ध नौ देवियों में से एक।
क्षमा - क्षमा।
शिवा - देवी शिवा, शक्ति की देवी जो शिव की पत्नी है।
धात्री - देवी धात्री, जो संसार के समस्त प्राणियों के पालने-पोषण में समर्थ है।
स्वाहा - एक मंत्र जो यज्ञों में उच्चारित किया जाता है।
स्वधा - एक मंत्र जो पितरों के उद्धार के लिए उच्चारित किया जाता है।
नमोऽस्तु ते - नमस्कार हो आपको।
जय त्वं देवि चामुण्डे जय भूतार्तिहारिणि।
जय सर्वगते देवि कालरात्रि नमोऽस्तु ते॥2॥
यह श्लोक देवी चामुण्डा को समर्पित है। इसमें देवी को जय बोलकर स्तुति की गई है, जो भूतार्ति हरण करने वाली है। इसके अलावा, यह श्लोक देवी को सब जगह मौजूद मानता है और उसकी पूजा की जाती है। श्लोक के अंत में देवी को कालरात्रि के रूप में सलाम किया गया है।
जय - विजय, समृद्धि, सफलता
त्वं - तुम
देवि - देवी, भगवती
चामुण्डे - चामुण्डा
भूतार्तिहारिणि - भूतों की महारानी, उनकी संकट से मुक्ति देने वाली
सर्वगते - सभी जगह मौजूद
कालरात्रि - काली रात्रि, शुभहीन रात्रि
नमोऽस्तु - नमस्ते
ते - तुम्हारे
जय - विजय, समृद्धि, सफलता
त्वं - तुम
देवि - देवी, भगवती
चामुण्डे - चामुण्डा
भूतार्तिहारिणि - भूतों की महारानी, उनकी संकट से मुक्ति देने वाली
सर्वगते - सभी जगह मौजूद
कालरात्रि - काली रात्रि, शुभहीन रात्रि
नमोऽस्तु - नमस्ते
ते - तुम्हारे
मधुकैटभविद्राविविधातृवरदे नमः।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥
हिंदी मीनिंग : मधुकैटभ और विद्रावि जैसे विभिन्न दुष्टों को मारने वाले त्रिदेवों के नामों को नमस्कार। हे देवी! आप हमें सुंदर रूप दीजिए, विजय दीजिए और अपमान करने वालों को नष्ट कर दीजिए।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥
हिंदी मीनिंग : मधुकैटभ और विद्रावि जैसे विभिन्न दुष्टों को मारने वाले त्रिदेवों के नामों को नमस्कार। हे देवी! आप हमें सुंदर रूप दीजिए, विजय दीजिए और अपमान करने वालों को नष्ट कर दीजिए।
महिषासुरनिर्णाशि भक्तानां सुखदे नमः।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥4॥
अर्थ: मैं महिषासुर को नष्ट करने वाली (देवी माता )
भक्तों के सुखदाता को नमस्कार करता हूं। हे देवी, कृपा करके मुझे आकार दो, विजय दो और दुश्मनों को मिटा दो।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥4॥
अर्थ: मैं महिषासुर को नष्ट करने वाली (देवी माता )
भक्तों के सुखदाता को नमस्कार करता हूं। हे देवी, कृपा करके मुझे आकार दो, विजय दो और दुश्मनों को मिटा दो।
रक्तबीजवधे देवि चण्डमुण्डविनाशिनि।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥
देवी चण्डमुण्ड के वध से रक्तबीज का नाश करने वाली, हे विनाशिनी देवी! आप हमें सुंदर रूप दीजिए, विजय दीजिए और अपमान करने वालों को नष्ट कर दीजिए। (देवी माहात्म्यम् ।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥
देवी चण्डमुण्ड के वध से रक्तबीज का नाश करने वाली, हे विनाशिनी देवी! आप हमें सुंदर रूप दीजिए, विजय दीजिए और अपमान करने वालों को नष्ट कर दीजिए। (देवी माहात्म्यम् ।
शुम्भस्यैव निशुम्भस्य धूम्राक्षस्य च मर्दिनि।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥
हे माँ, जो शुम्भ और निशुम्भ तथा धूम्राक्ष को मारने वाली हैं। कृपा करके मुझे उनके समान आकार, विजय और यश दो और मेरे दुश्मनों को मार डालो।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥
हे माँ, जो शुम्भ और निशुम्भ तथा धूम्राक्ष को मारने वाली हैं। कृपा करके मुझे उनके समान आकार, विजय और यश दो और मेरे दुश्मनों को मार डालो।
वन्दिताङ्घ्रियुगे देवि सर्वसौभाग्यदायिनि।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥7॥
वन्दित अंगुलियों वाली देवी, सभी सौभाग्यों की दात्री, मुझे सौंदर्य दे, मुझे विजय दे, मुझे यश दे और मेरे सभी शत्रुओं को नष्ट कर दे।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥7॥
वन्दित अंगुलियों वाली देवी, सभी सौभाग्यों की दात्री, मुझे सौंदर्य दे, मुझे विजय दे, मुझे यश दे और मेरे सभी शत्रुओं को नष्ट कर दे।
अचिन्त्यरुपचरिते सर्वशत्रुविनाशिनि।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥
हे सब शत्रुओं के विनाशकारी, जिनका रहस्यमय रूप और कार्यकलाप समझ में नहीं आते, मुझे सौंदर्य, विजय और यश दो और मेरे दुश्मनों को नष्ट करो।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥
हे सब शत्रुओं के विनाशकारी, जिनका रहस्यमय रूप और कार्यकलाप समझ में नहीं आते, मुझे सौंदर्य, विजय और यश दो और मेरे दुश्मनों को नष्ट करो।
स्तुवद्भ्यो भक्तिपूर्वं त्वां चण्डिके व्याधिनाशिनि।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥
भक्ति से भरपूर चण्डिके, तुम्हें स्तुति करता हूं। तुम व्याधिनाशिनि हो। मुझे अपना रूप दें, मुझे जय दें, मुझे यश दें और मेरे शत्रुओं विजय प्रदान करें।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥
भक्ति से भरपूर चण्डिके, तुम्हें स्तुति करता हूं। तुम व्याधिनाशिनि हो। मुझे अपना रूप दें, मुझे जय दें, मुझे यश दें और मेरे शत्रुओं विजय प्रदान करें।
चण्डिके सततं ये त्वामर्चयन्तीह भक्तितः।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥
हिंदी अर्थ : जो लोग भक्तिपूर्वक तुम्हें सदा पूजते हुए अर्चना करते हैं। उन्हें अपना रूप दो, जीत दो, यश दो और शत्रुओं को नष्ट करो।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥
हिंदी अर्थ : जो लोग भक्तिपूर्वक तुम्हें सदा पूजते हुए अर्चना करते हैं। उन्हें अपना रूप दो, जीत दो, यश दो और शत्रुओं को नष्ट करो।
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देहि सौभाग्यमारोग्यं देहि मे परमं सुखम्।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥
हिंदी अर्थ : कृपया मुझे सौभाग्य और आरोग्य दो। मुझे परम सुख दो, मुझे अपना रूप दो, जीत दो, यश दो और शत्रुओं को नष्ट करो।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥
हिंदी अर्थ : कृपया मुझे सौभाग्य और आरोग्य दो। मुझे परम सुख दो, मुझे अपना रूप दो, जीत दो, यश दो और शत्रुओं को नष्ट करो।
विधेहि द्विषतां नाशं विधेहि बलमुच्चकैः।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥
कृपया मुझे शत्रुओं का नाश करने की शक्ति दो। मुझे ऊँचा बल दो, मुझे अपना रूप दो, जीत दो, यश दो और शत्रुओं को नष्ट करो।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥
कृपया मुझे शत्रुओं का नाश करने की शक्ति दो। मुझे ऊँचा बल दो, मुझे अपना रूप दो, जीत दो, यश दो और शत्रुओं को नष्ट करो।
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रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥
देवी, कृपया मुझे भलाई की शक्ति दो। मुझे परम धन-समृद्धि दो, मुझे अपना रूप दो, जीत दो, यश दो और शत्रुओं को नष्ट करो।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥
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सुरासुरशिरोरत्ननिघृष्टचरणेऽम्बिके।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥
अम्बिके, सुरों और असुरों के सिरों में चमकते जड़ रत्नों के स्थान पर तुम्हारे चरण हैं। कृपया मुझे अपना रूप दो, जीत दो, यश दो और शत्रुओं को नष्ट करो।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥
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विद्यावन्तं यशस्वन्तं लक्ष्मीवन्तं जनं कुरु।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥
कृपया मेरे लिए विद्यावान, यशस्वी और धनवान जन बनो। मुझे अपना रूप दो, जीत दो, यश दो और शत्रुओं को नष्ट करो।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥
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प्रचण्डदैत्यदर्पघ्ने चण्डिके प्रणताय मे।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥
चण्डिके, जो प्रचण्ड दानव-अहंकार को नष्ट करती हैं, मैं आपकी प्रणाम करता हूँ। कृपया मुझे अपना रूप दो, जीत दो, यश दो और शत्रुओं को नष्ट करो।
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हिमाचल के पुत्र नाथ की स्तुति करते हुए परमेश्वरी चण्डिके, आप मुझे रूप दीजिए, जीत दीजिए, यश दीजिए और शत्रुओं को नष्ट कीजिए॥
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥
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इन्द्राणीपतिसद्भावपूजिते परमेश्वरि।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥
इन्द्राणी के पति के अस्तित्व से सम्मानित परमेश्वरि, आप मुझे रूप, विजय, यश और शत्रुओं का नाश दीजिए॥
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥
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रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥
देवी, जो दैत्यदर्प को नष्ट करती हैं, उस प्रचण्ड दोर्दण्ड से संबद्ध आपकी पूजा करता हूँ। कृपया मुझे सुंदर रूप और जीत, यश और दुश्मनों का नाश दें।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥
देवी, जो दैत्यदर्प को नष्ट करती हैं, उस प्रचण्ड दोर्दण्ड से संबद्ध आपकी पूजा करता हूँ। कृपया मुझे सुंदर रूप और जीत, यश और दुश्मनों का नाश दें।
देवि भक्तजनोद्दामदत्तानन्दोदयेऽम्बिके।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥
देवी अम्बिके, जो भक्तों को उत्तेजित करती हैं और उन्हें आनंद प्रदान करती हैं, कृपया मुझे सुंदर रूप, विजय और यश दें और मेरे शत्रुओं को नष्ट करें॥ इसका संक्षिप्त अर्थ है कि भक्तजनों को समृद्धि देने वाली देवी अम्बिका से मैं इस प्रार्थना में हूँ कि वह मुझे सुंदर रूप, विजय और यश दें और मेरे शत्रुओं को नष्ट करें।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥
देवी अम्बिके, जो भक्तों को उत्तेजित करती हैं और उन्हें आनंद प्रदान करती हैं, कृपया मुझे सुंदर रूप, विजय और यश दें और मेरे शत्रुओं को नष्ट करें॥ इसका संक्षिप्त अर्थ है कि भक्तजनों को समृद्धि देने वाली देवी अम्बिका से मैं इस प्रार्थना में हूँ कि वह मुझे सुंदर रूप, विजय और यश दें और मेरे शत्रुओं को नष्ट करें।
पत्नीं मनोरमां देहि मनोवृत्तानुसारिणीम्।
तारिणीं दुर्गसंसारसागरस्य कुलोद्भवाम्॥
पत्नीं मनोहर देवी, जो मनोवृत्तियों के अनुसार हो, हमें दें। वह संसार के सागर से पार करने वाली है और उनकी उत्पत्ति दुर्गा से हुई है।
तारिणीं दुर्गसंसारसागरस्य कुलोद्भवाम्॥
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इदं स्तोत्रं पठित्वा तु महास्तोत्रं पठेन्नरः।
स तु सप्तशतीसंख्यावरमाप्नोति सम्पदाम्॥
॥ इति देव्या अर्गलास्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥
यह स्तोत्र पढ़कर कोई व्यक्ति अवश्य ही महास्तोत्र का पाठ करे। वह सात शती के आकार में सम्पदाएं प्राप्त करता है। इस प्रकार देवी के अर्गला स्तोत्र पूर्ण होता है।
स तु सप्तशतीसंख्यावरमाप्नोति सम्पदाम्॥
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Argala Stotram || Durga Saptshati || Om Jayanti Mangala Kali || Madhvi Madhukar Jha
The Argala Stotram occupies an essential place in the Hindu sacred literature and it is a prayer to the Goddess Durga. Argala is a Marathi word and can be translated as a chain or a lock; the singing of this hymn is supposed to remove barriers, to open the doors to a wealthy life. The potency of Argala Stotram lies in the fact that through the chanting the devotee is tuned, so to say, into the frequency of the divine energy of Mother Durga. In the hymn the release of the blessings of the Goddess is requested and protection is sought from negative forces, fears, and barriers. It is traditionalist faith that this hymn will work wonders if chanted with devotion and faith will make one succeed, wealthy, happy, and at peace with one’s self.
Here are some of the benefits of reciting the Argala Stotram:
Removes Obstacles: The hymn is believed to remove all kinds of obstacles that come in the way of success and prosperity.
Grants Protection: The hymn invokes the blessings of Goddess Durga and seeks her protection from negative energies, fears, and obstacles.
Increases Wealth and Prosperity: Reciting the hymn with devotion is believed to increase wealth, prosperity, and abundance in one's life.
Improves Health: The hymn is said to have healing powers and can help in improving one's physical and mental health.
Brings Peace of Mind: Reciting the hymn with devotion can bring peace of mind, reduce stress and anxiety, and promote emotional well-being.
Enhances Spiritual Growth: The hymn is considered a powerful tool for spiritual growth and can help in deepening one's connection with the divine.
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Here are some of the benefits of reciting the Argala Stotram:
Removes Obstacles: The hymn is believed to remove all kinds of obstacles that come in the way of success and prosperity.
Grants Protection: The hymn invokes the blessings of Goddess Durga and seeks her protection from negative energies, fears, and obstacles.
Increases Wealth and Prosperity: Reciting the hymn with devotion is believed to increase wealth, prosperity, and abundance in one's life.
Improves Health: The hymn is said to have healing powers and can help in improving one's physical and mental health.
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