तेरे दर्शन को गणराजा तेरे दरबार आए है

तेरे दर्शन को गणराजा तेरे दरबार आए है

नसीब वालों को, हे गणराजा,
तेरा दीदार होता है,
जिसपे होती है नज़रे करम,
उसका बेड़ा पार होता है।

तेरे दर्शन को गणराजा,
तेरे दरबार आए हैं,
तेरे दरबार आए हैं,
तेरे दरबार आए हैं,
तेरे दर्शन को गणराजा,
तेरे दरबार आए हैं।।

सुना है मैंने गणराया,
तुम्हें लड्डू ही भाते हैं,
तुम्हारे भोग में, भगवन,
हाँ, लड्डू साथ लाए हैं,
तेरे दर्शन को गणराजा,
तेरे दरबार आए हैं।।

तुम्हें दूर्वा सदा चढ़ती,
लोग ऐसा सदा करते,
बेल-पाती के संग-संग में,
हाँ, दूर्वा हार लाए हैं,
तेरे दर्शन को गणराजा,
तेरे दरबार आए हैं।।

तुम्हें वस्त्रों में पीतांबर,
पहनते हमने देखा है,
की दरज़ी से भी सिलवाकर,
तुम्हारे वस्त्र लाए हैं,
तेरे दर्शन को गणराजा,
तेरे दरबार आए हैं।।

सुना है ताज़े फूलों के,
तुम्हें गजरे सुहाते हैं,
बागों से ‘सुमन योगी’,
सुगंधित फूल लाए हैं,
तेरे दर्शन को गणराजा,
तेरे दरबार आए हैं।।

तेरे दर्शन को गणराजा,
तेरे दरबार आए हैं,
तेरे दरबार आए हैं,
तेरे दरबार आए हैं,
तेरे दर्शन को गणराजा,
तेरे दरबार आए हैं।।


तेरे दर्शन को आये गणराजा ~ Tere Darshan Ko Aaye Ganraja ~ गणपति भजन ~ Shahnaaz Akhtar ~ 9753716278

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Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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