हिंग्वाष्टक चूर्ण के फायदे, हिंग्वाष्टक चूर्ण कैसे बनाएं Hingvashtak Churna Benefits, How to make Hingvashtak Churna at Home
हिंग्वाष्टक चूर्ण क्या है
यह आठ औषधीय गुणों से युक्त सामग्रियों से बनने वाला एक चूर्ण है जिसके सेवन से अजीर्ण, आफरा, गैस, कब्ज, कमजोर पाचन आदि विकार दूर होते हैं। इस चूर्ण का निर्माण आप अपने घर पर ही कर सकते हैं। आइये जानते है यह चूर्ण बनाने की विधि और इसके लाभ के बारे में।
हिंग्वाष्टक चूर्ण बनाने के लिए काम में आने वाली सामग्री
इस चूर्ण में वैसे तो जो सामग्री उपयोग में ली जाती है वह आपकी रसोई में उपलब्ध हो जाती है, लेकिन यदि कोई सामग्री नहीं मिले तो आप पंसारी की दुकान से इसे प्राप्त कर सकते हैं।
- हींग १५ ग्राम
- सोंठ - 15 ग्राम
- कालीमिर्च- 15 ग्राम
- पीपल- 15 ग्राम
- अजवायन- 15 ग्राम
- सेंधा नमक- 15 ग्राम
- काला जीरा - 15 ग्राम
- सादा जीरा- 15 ग्राम
हींग १० ग्राम हिंग्वाष्टक चूर्ण बनाने की विधि
उक्त सामग्री को साफ़ कर लें (कोई कचरा हो तो निकाल दें ) और फिर इसे पहले कूट कर दरदरा बना लें। अब इस दरदरे मिश्रण को मिक्सी में पीस कर बारीक चूर्ण बना लें। यदि कोई टुकड़ा बड़ा बच जाता है तो पुनः मिक्सी में पीस लें।
दस ग्राम हींग को देसी गाय के घी में अच्छे से भून लें। घी आपको एक चम्मच प्रयाप्त रहेगा, आप देख लें की अच्छे से घी भून जाए और अतिरिक्त घी भी नहीं बचे। मिक्सी से तैयार किये गए चूर्ण को आप इस भुनी हुयी हींग में मिला दें और काच के हवाबंद डिब्बे में बंद करके रखे। चूर्ण लेते समय चम्मच में पानी नहीं लगा होना चाहिए जिससे आपका चूर्ण लम्बे समय तक सुरक्षित बना रहेगा।
यह भी जानिये
हिंग्वाष्टक चूर्ण का सेवन कैसे करें
हिंग्वाष्टक चूर्ण को खाना खाने के आधा घंटे पहले आधा (लगभग ३ ग्राम) चम्मच गुनगुने पानी के साथ लेना चाहिए।
हिंग्वाष्टक चूर्ण के सेवन से लाभ
हिंग्वाष्टक चूर्ण मुख्यतया पाचन रसो के स्राव को नियन्त्रिक करता है और पाचन से सबंधित विकारों को दूर करता है। हिंग्वाष्टक चूर्ण के सेवन के अन्य लाभ निम्न प्रकार से हैं।
- इस चूर्ण को भोजन से पहले लिया जाता है जिससे ये बढे हुए पित्त को नियंत्रित करता है।
- भूख के प्रति अरुचि को दूर करता है और जठराग्नि को जाग्रत करता है।
- यह पाचक रसों के स्राव को बढ़ा देता है।
- हिंग्वाष्टक चूर्ण के सेवन से गैस और आफरा (पेट फूलना ) जैसे विकारों में लाभ मिलता है।
- अजीर्णता को समाप्त करता है। यह श्रेष्ठ पाचक और दीपक होता है।
- मल को ढीला बनाता है।
- हिंग्वाष्टक चूर्ण के सेवन से पुरानी कब्ज दूर होती है।
- हिंग्वाष्टक चूर्ण भोजन के पचाने में सहायता करता है और शरीर की दुर्बलता को दूर करता है।
- गैस विकारों को दूर कर पेट को हल्का रखता है। हिंग्वाष्टक चूर्ण के सेवन से अपान वायु रिलीज़ हो जाती है और इसके कारण होने वाले सर दर्द में लाभ मिलता है।
हिंग्वाष्टक चूर्ण के सेवन में सावधानिया
इस चूर्ण के वैसे तो कोई ज्ञात दुष्परिणाम नहीं होते हैं फिर भी आप इसके सेवन से पूर्व अपने शरीर की तासीर के मुताबिक चूर्ण के सेवन सबंधी राय लेवे। इस चूर्ण को निम्न परिस्थितियों में नहीं लेना चाहिए। इस चूर्ण में नमक का इस्तेमाल किया जाता है, इसलिए ब्लड प्रेशर की शिकायत में इसे उपयोग में नहीं लेना चाहिए।
- यदि इसके सेवन से पेट में जलन हो तो इसका उपयोग बंद कर देना चाहिए।
- छोटे बच्चों को इस हिंग्वाष्टक चूर्ण नहीं दिया जाना चाहिए।
- इस चूर्ण का सेवन स्वंय की मर्जी से नहीं किया जाना चाहिए। वैद्य की उचित सलाह के उपरांत इसका सेवन करना चाहिए।
- अधिक मात्रा में इसका सेवन उचित नहीं होता है और यह पेट से सबंधित विकार उत्पन्न कर सकता है।
बैद्यनाथ हिंग्वाष्टक चूर्ण फायदे और सेवन Baidyanath Hingvashtak Churn Benefits and Uses
हींग
आमतौर पर हींग (Asafoetida) को गरिष्ठ भोजन के भगार के साथ उपयोग करने का कारण यही है की यह गैस नाशक है और पाचन में सहयोगी होती है। हींग के सेवन के कई लाभ होते हैं क्योंकि हींग में जैसे कैल्शियम, फास्फोरस, आयरन, केरोटीन, राइबोफ्लेविन और नियासिन आदि लाभदायक विटामिन और खनिज होते हैं। घरों में हींग का प्रयोग कब्ज दूर करने, गैस को समाप्त करने के लिए किया जाता रहा है। इसके अलावा शरीर में दर्द होने और दांतों के दर्द के लिए भी हींग का उपयोग किया जाता है।
आपको ये पोस्ट पसंद आ सकती हैं
- पतंजलि गैसहर चूर्ण के फायदे घटक सेवन विधि Patanjali Gashar Churna Benefits Composition Doses Hindi
- त्रिफला चूर्ण के फायदे Trifala Churna Ke Fayade Hindi
- हिंग्वाष्टक चूर्ण के फायदे Hingvashtak Churna Benefits Hindi
- पतंजलि उदरामृत वटी फायदे उपयोग घटक Patanjali Udramrit Vati Benefits Hindi
- पतंजलि कुटज घनवटी के फ़ायदे और घटक Patanjali Kutaj Ghanvati Benefits
- नारायण चूर्ण के फायदे उपयोग Narayan Churna Usages and Benefits Composition Doses Hindi
The author of this blog, Saroj Jangir (Admin),
is a distinguished expert in the field of Ayurvedic Granths. She has a
diploma in Naturopathy and Yogic Sciences. This blog post, penned by me,
shares insights based on ancient Ayurvedic texts such as Charak
Samhita, Bhav Prakash Nighantu, and Ras Tantra Sar Samhita. Drawing from
an in-depth study and knowledge of these scriptures, Saroj Jangir has
presented Ayurvedic Knowledge and lifestyle recommendations in a simple
and effective manner. Her aim is to guide readers towards a healthy life
and to highlight the significance of natural remedies in Ayurveda.