रसराज रस के फायदे और नुकसान Rasraj Ras Ke Fayde Upyog Ingredients
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रसराज रस क्या है What is Rasraj Rasa
रसराज रस एक आयुर्वेदिक ओषधि है जो वटी (टेबलेट) रूप में है। इस वटी का मूल उपयोग वात विकार जनित रोगों के उपचार के लिए किया जाता है। पक्षाघात, खून की कमी, लकवा आदि विकारों में बहुत लाभदायक है। इसके साथ ही नसों की कमजोरी, मांसपेशियों की कमजोरी और मस्तिष्क के कई रोगों के उपचार में भी इस ओषधि का उपयोग किया जाता है।लकवा (पक्षाघात) के उपचार में रसराज रस का उपयोग
लकवा/पक्षाघात के उपचार के लिए रसराज रस एक असरदायक ओषधि है। यह रक्त वाहिनियों को खोलती है और इनकी दुर्बलता को भी दूर करती है। मुंह के लकवे में भी इस ओषधि का विशेष प्रभाव होता है।शारीरिक शक्ति को बढ़ाता है
ओस्टियोआर्थराइटिस में लाभकारी
जोड़ों के दर्द में भी रसराज रस बहुत गुणकारी ओषधि है। पुनर्नवा गुग्गुलु, पुष्पधन्वा रस, रास्नादि गुग्गुलु के साथ इसके सेवन से शीघ्र लाभ मिलता है।पाचन क्रिया को दुरुस्त करता है
मानसिक अवसाद को करे दूर
मस्तिष्क की क्रियाशीलता को बढ़ाता है
तनाव दूर करता है रसराज रस
पोषक तत्वों से भरपूर होता है
थकान दूर करने में सहायक है रसराज रस
रोग प्रतिरोधक क्षमत बढ़ाता है रसराज रस
एंटी एजिंग है रसराज रस
यौन स्वास्थ्य में भी है लाभदायक
स्कोलियोसिस में रसराज रस के लाभ
वात जनित विकार गृध्रसी (सायटिका) होने पर कमर में दर्द रहता है और रोगी एक तरफ झुकने लगता है, झुककर चलने लगता है। ऐसे में इस ओषधि से दर्द दूर होता है और रोगी सीधा होकर चलने में सहज महसूस करता है।ट्रिगर फिंगर में रसराज रस का उपयोग
वात विकार के कारण रोगी को मुट्ठी खोलने में कठिनाई आती है जिससे अँगुलियों पर विशेष प्रभाव पड़ता है। अंगुलियां कमजोर होने लगती हैं और आसानी से नहीं खुलती है। ऐसे में रसराज रस का उपयोग लाभकारी होता है।रसराज रस के घटक
- रस सिंदूर,
- अभ्रक भस्म,
- स्वर्ण भस्म,
- प्रवाल पिष्टी,
- मोती पिष्टी,
- लौह भस्म,
- रौप्य भस्म,
- बंग भस्म,
- असगंध,
- लौंग,
- जावित्री,
- जायफल और
- काकोली।
आयुर्वेद के अनुसार इसे घटक द्रव्य
- शुद्ध पारद – 20 ग्राम,
- लोह भस्म 100 पुटी – 20 ग्राम,
- शुद्ध गन्धक – 20 ग्राम,
- अभ्रक भस्म शत पुटी – 40 ग्राम,
- शुद्ध गुग्गुलु – 320 ग्राम,
- सोंठ, काली मिर्च सम्मिलित – 10 ग्राम,
- हरड़ बहेड़ा आमला सम्मिलित – 10 ग्राम,
- दन्तीमूल – 10 ग्राम,
- गडूची – 10 ग्राम,
- इन्द्रायण की जड़ – 10 ग्राम,
- विडंग – 10 ग्राम,
- नागकेसर – 10 ग्राम,
- त्रिवृत्त – 10 ग्राम,
रसराज रस के नुकसान
रसराज रस की ओषधि का सेवन
सामान्य रूप से 125 मिलीग्राम से 250 मिलीग्राम - 1 - 2 गोलियाँ दिन में एक या दो बार भोजन से पहले या बाद में ली जाती हैं। लेकिन पुनः सलाह है की इस ओषधि का उपयोग बिना चिकित्सक की राय के नहीं करना चाहिए।रसराज रस के सेवन में सावधानियां Rasraj Ras Precautions
- रसराज रस के सेवन से पूर्व वैद्य की सलाह अवश्य प्राप्त कर लें।
- निर्धारित मात्रा से अधिक का सेवन नहीं करें।
- आहार और परहेज का विशेष ध्यान रखें।
- यह दवा केवल चिकित्सकीय देखरेख में ही ली जानी चाहिए।
- इस दवा के साथ स्व-उपचार खतरनाक साबित हो सकता है।
- बच्चों और गर्भवती महिलाओं को इससे बचना चाहिए।
- इस दवा का चयन अच्छी कंपनी से ही करें।
- अधिक खुराक से कंपकंपी, चक्कर आना आदि जैसे दुष्प्रभाव हो सकते हैं।
- यदि आप इस उत्पाद को अन्य पश्चिमी (एलोपैथिक/आधुनिक) दवाओं के साथ ले रहे हैं तो अपने डॉक्टर की सलाह लें।
- धूतपापेश्वर
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- बैद्यनाथ
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The author of this blog, Saroj Jangir (Admin), is a distinguished expert in the field of Ayurvedic Granths. She has a diploma in Naturopathy and Yogic Sciences. This blog post, penned by me, shares insights based on ancient Ayurvedic texts such as Charak Samhita, Bhav Prakash Nighantu, and Ras Tantra Sar Samhita. Drawing from an in-depth study and knowledge of these scriptures, Saroj Jangir has presented Ayurvedic Knowledge and lifestyle recommendations in a simple and effective manner. Her aim is to guide readers towards a healthy life and to highlight the significance of natural remedies in Ayurveda.
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