रसराज रस के फायदे और नुकसान Rasraj Ras Ke Fayde Upyog Ingredients
भारत
में प्राचीन काल से ही आयुर्वेदिक उपचार को विशेष महत्व दिया गया है।
आयुर्वेद में ऐसी बहुत सी जड़ी बूटियां हैं जिनका उचित अनुपात में उपयोग कर
बहुत सी शारीरिक समस्याओं को दूर करने के लिए किया जाता है। ऐसे ही
आयुर्वेद में रसराज रस भी एक महत्वपूर्ण औषधि है। इसका सेवन करने से शरीर
में प्रचुर मात्रा में विटामिन एवं मिनरल्स की पूर्ति होती है। इसका सेवन
करना पाचन क्रिया को भी दुरुस्त बनता है। रसराज का सेवन करने से शरीर को
पर्याप्त ऊर्जा के प्राप्ति होती है।
रसराज रस में पर्याप्त मात्रा में
एंटीऑक्सीडेंट और एंटी इन्फ्लेमेटरी प्रॉपर्टीज पाई जाती हैं जिससे यह है
शरीर में होने वाली सूजन को दूर करने में भी फायदेमंद होता है। रसराज
का सेवन करने से मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है। यह शरीर की अंदरूनी
समस्याओं में भी सुधार करता है। इसका सेवन करने से पोषक तत्वों की प्राप्ति
होती है तथा शारीरिक शक्ति बढ़ती है। यह मानसिक अवसाद एवं तनाव को दूर कर
स्वस्थ जीवन शैली बनाने में सहायक है, तो आइए जानते हैं रसराज के सेवन से होने वाले फायदे:
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रसराज रस क्या है What is Rasraj Rasa
रसराज रस एक आयुर्वेदिक ओषधि है जो वटी (टेबलेट) रूप में है। इस वटी का मूल उपयोग वात विकार जनित रोगों के उपचार के लिए किया जाता है। पक्षाघात, खून की कमी, लकवा आदि विकारों में बहुत लाभदायक है। इसके साथ ही नसों की कमजोरी, मांसपेशियों की कमजोरी और मस्तिष्क के कई रोगों के उपचार में भी इस ओषधि का उपयोग किया जाता है।लकवा (पक्षाघात) के उपचार में रसराज रस का उपयोग
लकवा/पक्षाघात के उपचार के लिए रसराज रस एक असरदायक ओषधि है। यह रक्त वाहिनियों को खोलती है और इनकी दुर्बलता को भी दूर करती है। मुंह के लकवे में भी इस ओषधि का विशेष प्रभाव होता है।शारीरिक शक्ति को बढ़ाता है
रसराज
रस का सेवन करने से शारीरिक शक्ति बढ़ती है। इसके सेवन से पोषक तत्वों की
प्राप्ति होती है। जिससे यह शारीरिक शक्ति को बढ़ाता है।
ओस्टियोआर्थराइटिस में लाभकारी
जोड़ों के दर्द में भी रसराज रस बहुत गुणकारी ओषधि है। पुनर्नवा गुग्गुलु, पुष्पधन्वा रस, रास्नादि गुग्गुलु के साथ इसके सेवन से शीघ्र लाभ मिलता है।पाचन क्रिया को दुरुस्त करता है
रसराज
रस का सेवन करने से पाचन क्रिया दुरूस्त होती है। तथा पाचन तंत्र सुचारू
रूप से कार्य करता है। जिससे पोषक तत्वों के प्राप्ति होती है। जो स्वस्थ
शरीर के लिए आवश्यक है।
मानसिक अवसाद को करे दूर
रसराज
रस में पाए जाने वाले घटक मानसिक अवसाद को दूर कर मस्तिष्क के स्वास्थ्य
को बनाए रखते हैं। इससे मानसिक अवसाद में राहत प्राप्त होती है।
मस्तिष्क की क्रियाशीलता को बढ़ाता है
रसराज
रस में उपयोग में ले जाने वाले घटक से मस्तिष्क की क्रियाशीलता बढ़ती है।
मस्तिष्क सुचारू रूप से कार्य करने में सक्षम होता है। जिससे हम अपने कार्य
को सफलतापूर्वक कर सकते हैं।
तनाव दूर करता है रसराज रस
रसराज
रस में उपयोग में ली जाने वाली सामग्री का सेवन करने से तनाव दूर होता है।
हम सहजता से अपने निर्णय लेने में सक्षम हो होते हैं।
पोषक तत्वों से भरपूर होता है
रसराज
रस के घटक तत्वों में पोषक तत्वों की प्रचुर मात्रा होती है। जिससे शरीर
को पोषक तत्वों की प्राप्ति होती है। जो हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत ही
आवश्यक होते हैं।
थकान दूर करने में सहायक है रसराज रस
रसराज
रस का सेवन करने से थकान दूर होती है। तथा हमें ऊर्जा की प्राप्ति होती
है। जिससे हम अपने दैनिक कार्य करने में सक्षम होते हैं।
रोग प्रतिरोधक क्षमत बढ़ाता है रसराज रस
रस रसराज के सेवन से रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास होता है। जिससे हम वायरल इंफेक्शन से हमारा बचाव कर सकते हैं।
एंटी एजिंग है रसराज रस
रसराज
रस में पाए जाने वाले पोषक तत्व एंटी एजिंग होते हैं जो हमारे त्वचा को
स्वस्थ एवं चमकदार बना रखने में लाभदायक होते हैं रसराज रस का सेवन करने से
हमारी त्वचा स्वस्थ एवं चमकदार बनी रहती है।
यौन स्वास्थ्य में भी है लाभदायक
यौन समस्याओं में भी रसराज रस का सेवन करना लाभदायक होता है। इसका सेवन करने से यौन समस्या दूर होती है।
स्कोलियोसिस में रसराज रस के लाभ
वात जनित विकार गृध्रसी (सायटिका) होने पर कमर में दर्द रहता है और रोगी एक तरफ झुकने लगता है, झुककर चलने लगता है। ऐसे में इस ओषधि से दर्द दूर होता है और रोगी सीधा होकर चलने में सहज महसूस करता है।ट्रिगर फिंगर में रसराज रस का उपयोग
वात विकार के कारण रोगी को मुट्ठी खोलने में कठिनाई आती है जिससे अँगुलियों पर विशेष प्रभाव पड़ता है। अंगुलियां कमजोर होने लगती हैं और आसानी से नहीं खुलती है। ऐसे में रसराज रस का उपयोग लाभकारी होता है।रसराज रस के घटक
रसराज
रस में निम्न घटक पाए जाते हैं जो हमारे शरीर के रोग प्रतिरोधक क्षमता को
बढ़ाकर हमें स्वस्थ बनाए रखने के लिए बहुत ही लाभदायक होते हैं। रसराज रस
में पाए जाने वाले घटक:
- रस सिंदूर,
- अभ्रक भस्म,
- स्वर्ण भस्म,
- प्रवाल पिष्टी,
- मोती पिष्टी,
- लौह भस्म,
- रौप्य भस्म,
- बंग भस्म,
- असगंध,
- लौंग,
- जावित्री,
- जायफल और
- काकोली।
आयुर्वेद के अनुसार इसे घटक द्रव्य
- शुद्ध पारद – 20 ग्राम,
- लोह भस्म 100 पुटी – 20 ग्राम,
- शुद्ध गन्धक – 20 ग्राम,
- अभ्रक भस्म शत पुटी – 40 ग्राम,
- शुद्ध गुग्गुलु – 320 ग्राम,
- सोंठ, काली मिर्च सम्मिलित – 10 ग्राम,
- हरड़ बहेड़ा आमला सम्मिलित – 10 ग्राम,
- दन्तीमूल – 10 ग्राम,
- गडूची – 10 ग्राम,
- इन्द्रायण की जड़ – 10 ग्राम,
- विडंग – 10 ग्राम,
- नागकेसर – 10 ग्राम,
- त्रिवृत्त – 10 ग्राम,
रसराज रस के नुकसान
रसराज
रस के सेवन से कोई नुकसान ज्ञात नहीं है। फिर भी इसका निर्धारित मात्रा से
अधिक सेवन करने पर उल्टी, दस्त तथा पेट की अन्य समस्याएं जैसे अपच और
एसिडिटी हो सकती है। रसराज रस में भस्म का उपयोग किया जाता है। जिनकी तासीर
गर्म होती है। इसका अधिक मात्रा में सेवन करने से सीने में जलन हो सकती
है। किसी भी प्रकार की एलर्जी वाले व्यक्ति को रसराज रस का सेवन करने से
पहले आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह अवश्य ले लेनी चाहिए। इसके साथ ही जो
व्यक्ति किसी अन्य दवाइयों का सेवन कर रहे हो वह चिकित्सक के परामर्श के
अनुसार ही रसराज रस का सेवन करें।
रसराज रस की ओषधि का सेवन
सामान्य रूप से 125 मिलीग्राम से 250 मिलीग्राम - 1 - 2 गोलियाँ दिन में एक या दो बार भोजन से पहले या बाद में ली जाती हैं। लेकिन पुनः सलाह है की इस ओषधि का उपयोग बिना चिकित्सक की राय के नहीं करना चाहिए।रसराज रस के सेवन में सावधानियां Rasraj Ras Precautions
- रसराज रस के सेवन से पूर्व वैद्य की सलाह अवश्य प्राप्त कर लें।
- निर्धारित मात्रा से अधिक का सेवन नहीं करें।
- आहार और परहेज का विशेष ध्यान रखें।
- यह दवा केवल चिकित्सकीय देखरेख में ही ली जानी चाहिए।
- इस दवा के साथ स्व-उपचार खतरनाक साबित हो सकता है।
- बच्चों और गर्भवती महिलाओं को इससे बचना चाहिए।
- इस दवा का चयन अच्छी कंपनी से ही करें।
- अधिक खुराक से कंपकंपी, चक्कर आना आदि जैसे दुष्प्रभाव हो सकते हैं।
- यदि आप इस उत्पाद को अन्य पश्चिमी (एलोपैथिक/आधुनिक) दवाओं के साथ ले रहे हैं तो अपने डॉक्टर की सलाह लें।
रसराज रस के निर्माता:
- धूतपापेश्वर
- उमा आयुर्वेदिक्स प्रा. लिमिटेड
- बैद्यनाथ
- डाबर
- दिव्य फार्मेसी
अतः आपने जाना की रसराज रस का मुख्य उपयोग वात जनित विकारों के इलाज के लिए किया जाता है। इसका उपयोग न्यूरो-मस्कुलर स्थितियों जैसे पक्षाघात, हेमटेरेगिया, बंद जबड़े, चेहरे का पक्षाघात, श्रवण दोष, चक्कर आना और वात असंतुलन के कारण होने वाली अन्य बीमारियों के उपचार में प्रधानता से किया जाता है।
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