सर्पगंधा क्या है सर्पगंधा के फायदे Sarpgandha Herb Benefits
सर्प गंधा को पारम्परिक रूप से ओषधियों में उपयोग में लाया जाता है। ऐसा माना जाता है की सर्पगंधा का उपयोग ओषधि निर्माण में ३०० वर्षों से किया जा रहा है। इस पौधे की गंध पाकर साँप इससे दूर रहते हैं। इसका उपयोग सर्प दंश / बिच्छु दंश के प्रभावों को कम करने के लिए किया जाता है, संभवतः तभी इसका नामकरण "सर्पगंधा" पड़ा हो। सर्पगंधा की जड़ का उपयोग मुख्य रूप से ओषधियों में किया जाता है। सर्पगंधा के पौधे का वानस्पतिक नाम रौवोल्फिया सर्पेन्टाइना (Rauvolfia serpentina Linn.) Benth. ex Kurz Syn Rauvolfia trifoliata (Gaertn.) Bail है। हिंदी में इसे नकुलकन्द, सर्पगन्धा, धवलबरुआ, नाकुलीकन्द, हरकाई चन्द्रा, आदि नामों से जाना जाता है। सर्पगंधा का रस : तिक्त, वीर्य : उष्ण, विपाक : कटु, प्रभाव : निंद्राजनन, गुण : रुक्ष होता है।यह भी पढ़ें :
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सर्प गंधा (Sarp Gandha) (Rauvolfia serpentina Linn.) हर्ब क्या होती है Serp Gandha Introduction
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सर्पगंधा के फायदे Benefits of Serp Gandha Hindi
- सर्प गंधा अनिंद्रा और हाइपर टेंसन को दूर करने के लिए अत्यंत ही उपयोगी होती है। इससे बेहतर नींद आती है और तंत्रिका तंत्र जनित अन्य विकारों में लाभ मिलता है (1)
- रक्त चापविशेष रूप से उच्च रक्त चाप हेतु सर्पगंधा का उपयोग लाभकारी होता है। सर्पगंधा में पाए जाने वाले एल्कलॉइड रक्त चाप को नियंत्रित करने में सहायक होते हैं। (2)
- सर्प गंधा से पेट से सबंधित विकार भी दूर होते हैं (3)
- जहरीले कीटों के काटने पर सर्पगंधा उपयोगी होती है। (4)
- सांप के काटने पर प्राथमिक रूप से इस ओषधिय पादप का उपयोग किया जाता है। ऐसी मान्यता है की जिस घर में सर्पगंधा का पौधा होता है वहाँ पर साँप, बिच्छु और मकड़ी जैसे विषैले जीव प्रवेश ही नहीं करते हैं। यह विष के प्रभाव को कम करता है (5)
- सर्पगंधा पित्त को बढाता है और भोजन में रूचि पैदा करता है।
- सर्पगंधा का उपयोग मासिक धर्म की अनियमितता हेतु किया जाता है।
- मूत्र विकारों में भी सर्पगंधा का उपयोग किया जाता है।
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- कुक्कर खाँसी में सर्पगंधा चूर्ण को शहद के साथ देने पर लाभ मिलता है।
- सांस उखड़ने पर भी शहद के साथ सर्पगंधा चूर्ण को लेने से लाभ मिलता है।
- मिर्गी और पागलपन के इलाज के लिए सर्पगंधा चूर्ण का उपयोग श्रेष्ठ होता है।
- पारम्परिक रूप से सर्प गंधा की जड़ों को सुखा कर इन्हें पीस कर चूर्ण बनाया जाता है। इसकी पत्तियों का रस भी नेत्र विकारों के लिए काम में लिया जाता है। आंखों के कॉर्निया की अपारदर्शिता को दूर करने /हटाने के लिए इसकी पत्तियों का रस बहुत ही उपयोगी होता है।
- अनिद्रा, हिस्टीरिया और मानसिक तनाव सम्बन्धी विकारों को दूर करने के लिए इससे ओषधियों का निर्माण किया जाता है। सर्पगंधा में हिप्नोटिक गुण होते हैं जो बेहतर नींद दिलाने में मदद करते हैं। सर्पगंधा की जड़ों का काढ़ा (क्वाथ) कृत्रिम निद्रादायक और पीड़ाहर होता है।
- पारम्परिक रूप से सर्पगंधा क्वाथ का उपयोग गर्भाशय के संकुचन को बढ़ाने के लिए, भ्रूण के निष्कासन तथा आंतों के विकारों को दूर करने हेतु किया जाता है।
- पिपली और अदरक के चूर्ण के साथ सर्पगंधा के चूर्ण को मिला कर लेने से मासिक धर्म सबंधी विकारों में लाभ मिलता है।
- मानसिक तनाव, अनिंद्रा हेतु इसकी जड़ों का चूर्ण लाभकारी होता है।
- सर्पगंधा को औषधीय पौधों में इसमें बहुतायत से एल्केलाइड्स की उपस्थिति के कारण एक विशेष स्थान प्राप्त है ।
- सर्पगंधा में वात शामक, उष्ण एवं विषघ्न गुण होने के कारण यह त्वचा से विष को दूर करने में मदद करता है।
- मासिक धर्म के दर्द / गर्भपात के दर्द को दूर करने के लिए सर्पगंधा का उपयोग किया जाता है। सर्पगंधा पादप के विषय में सामान्य जानकारी
भारत में कहाँ कहाँ पाया जाता है सर्पगंधा
भारत में उष्णकटिबंधीय हिमालय के क्षेत्र और सिक्किम, अंडमान निकोबार, असम आदि क्षेत्रों में बहुलता से पाया जाता है। वर्तमान में उतरप्रदेश में इसकी सबसे ज्यादा खेती की जाती है। भारत के अतिरिक्त सर्पगन्धा के मुख्य उत्पादक देश बर्मा, बंगलादेश, मलेशिया, श्री लंका, इंडोनेशिया और अंडेमान द्वीप आदि हैं।
क्यों है संकटग्रस्त सर्पगंधा हर्ब : सर्पगंधा पादप की संख्या लगातार घट रही है जिसका प्रधान कारण है की यह जंगलों में उगती है और जंगलों की कटाई की जा रही है। यह पौधा आसानी से कृतिम रूप से लगाना भी बहुत मुश्किल है। इसकी प्रजनन क्षमता भी कमजोर होती है। आयुर्वेद और चीनी चिकित्सा में इस हर्ब का उपयोग किया जाता है जिसमे प्रधान रूप से इसकी जड़ों का इस्तेमाल होता है और जड़ प्राप्त करने के लिए पुरे पौधे को ही उखाड़ना पड़ता है जिससे इसकी संख्या में अत्यधिक कमी आ रही है। वर्तमान में सर्पगंधा हर्ब को संरक्षण की आवश्यकता है। वर्तमान में हिमालय के तराई क्षेत्र यथा देहरादून शिवालिक पहाड़ी के क्षेत्र से लेकर आसाम, बिहार, महाराष्ट्र, तमिलनाडु ,आदि प्रांतों में इसकी व्यावसाईक खेती भी की जाने लगी है।
विशेष :सर्पगंधा चूर्ण या इसके किसी भी भाग के उपयोग / सेवन से पूर्व वैद्य की सलाह अवश्य लेवें। अपनी मर्जी से सर्पगंधा का उपयोग हानिकारक हो सकता है।
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