कोतिग दीठा देह बिन रवि बिना उजास मीनिंग कबीर के दोहे

कोतिग दीठा देह बिन रवि बिना उजास Kotig Ditha Deh Bin Meaning Kabir Dohe

 
कोतिग दीठा देह बिन, रवि बिना उजास।
साहिब सेवा मांहि है, बेपरवांही दास॥

Kotig Deetha Deh Bin, Ravi Bina Ujaas,
Saahiba Seva Mahi Hai, Beparwar Daas.
 
कोतिग दीठा देह बिन, रवि बिना उजास। साहिब सेवा मांहि है, बेपरवांही दास॥

कबीर दोहा हिंदी शब्दार्थ Word Meaning Kabir Sakhi/Doha 
  • कोतिग-कौतुक, आश्चर्य, कोतुहल, विचित्र प्रदर्शन।
  • दीठा-देखा।
  • देह बिन-बगैर देह, आकर के बिना।
  • रवि बिना- सूर्य के बिना, बगैर सूर्य के।
  • उजास-उजाला, प्रकाश।
  • सेवा मांहि है-सेवारत है।
  • बेपरवांही दास-भक्त बेपरवाह है।

कबीर दोहा हिंदी मीनिंग Kabir Doha Hindi Meaning

निराकार पूर्ण ब्रह्म को देखा जो की एक कोतुहल से कम नहीं था। वह निराकार था और उसकी देह नहीं थी। पूर्ण ब्रह्म का प्रकाश ऐसा था जो बिना सूर्य और चन्द्रमा के पैदा हो रहा था, क्योंकि वह स्वंय ही प्रकाश पुंज है। इस प्रकार से साहिब की भक्ति में लीन रहने वाला भक्त सदा ही बेपरवाह रहता है। निश्चिंत होने से आशय है की उसे किसी सांसारिक विषय विकार का कोई संताप शेष नहीं रहता है और माया जनित किसी विषय की उसे कोई परवाह शेष नहीं रहती है। उक्त साखी/दोहे में विभावना अलंकार का उपयोग हुआ है।
 
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Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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