त्रिफला चूर्ण के फायदे, उपयोग और सावधानियाँ Triphala Churna ke Fayde
त्रिफला चूर्ण क्या है ?
त्रिफला यानी की तीन (त्रि) फलों का योग (मिश्रण ) है। यह चूर्ण रूप में (पाउडर) है जिसे रात्री को भोजन के उपरान्त लिया जाता है। यह चूर्ण पाचन को बढाता है और आँतों की सफाई/शुद्ध करने का कार्य करता है।त्रिफला चूर्ण के फायदे
- त्रिफला चूर्ण आयुर्वेद ग्रंथों के अनुसार तैयार एक मिश्रण है जिसके निम्न फायदे होते हैं। त्रिफला चूर्ण पाचन को सुधरता है। इस चूर्ण के सेवन से भोजन पूर्ण रूप से पचता है और गैस और कब्ज आदि दूर होते हैं।
- त्रिफला चूर्ण में आंवला होता है जिसके कारण से इस चूर्ण के सेवन से आँखों की ज्योति दुरुस्त होती है। इसके अलावा, यह ग्लौकोमा और कैटरैक्ट की तरह अन्य आंखों की बीमारियों में लाभकारी है।
- त्रिफला में एंटीइंफ्लेमेटरी गुण होते हैं जिसके कारण से यह जोड़ों के दर्द को दूर करने में सहायक है।
- त्रिफला चूर्ण के उपयोग से मुखपाक और अन्य मुंह के रोगों में लाभकारी है।
- इस चूर्ण के सेवन से रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास होता है और रोगों से लड़ने की शक्ति में वृद्धि होती है।
- पाचन विकार दूर होने से त्रिफला चूर्ण के सेवन से बढ़ते वजन पर नियंत्रण होता है।
- मूत्र सम्बंधित विकारों में, यूरिन इन्फेक्शन, किडनी स्टोन्स, और मूत्रवाहिनी संबंधित समस्याओं में त्रिफला चूर्ण के सेवन से लाभ मिलता है।
- मानसिक स्वास्थ्य के लिए त्रिफला चूर्ण के लाभ होते हैं क्योंकि यह चूर्ण शरीर को पोषण देता है और बेहतर नींद लाता है।
- त्रिफला चूर्ण में विटामिन सी, एंटीऑक्सीडेंट्स, और एंटीइंफ्लेमेटरी गुण होते हैं जिससे त्वचा विकारों में भी लाभ मिलता है।
- हरीतकी, बिभितकी, और आंवला आँतों की सफाई करके कब्ज को दूर करते हैं।
- विटामिन सी और एंटीऑक्सीडेंट्स के कारण त्रिफला चूर्ण बालों की मजबूती बढ़ाता है और उनको उचित पोषण देता है।
- त्रिफला पाचन को दुरुस्त कर, भूख को बढ़ाने, लाल रक्त कोशिकाओं की संख्या में वृद्धि करने और शरीर में वसा की अवांछनीय मात्रा को हटाने में उपयोग में लिया जाता है।
- त्रिफला के उपयोग से हृदय रोग, मधुमेह और उच्च रक्तचाप के नियंत्रण में सहायता मिलती है।
- त्रिफला के सेवन से शरीर को निरामय, सक्षम व फुर्तीला बनता है।
- त्रिफला व ईसबगोल की भूसी दो चम्मच मिलाकर शाम को गुनगुने पानी से लेने से जीर्ण कब्ज दूर होता है।
त्रिफला चूर्ण के सेवन में सावधानियाँ और साइड इफेक्ट्स
- कुछ लोगों को त्रिफला चूर्ण से गैस, सूजन, या पेट दर्द हो सकता है। यदि आपका पाचन तंत्र संवेदनशील है, तो यह त्रिफला चूर्ण के प्रति अधिक प्रतिक्रियाशील हो सकता है। इसलिए संतुलित मात्र में इस चूर्ण का उपयोग करना चाहिए।
- त्रिफला चूर्ण का अत्यधिक सेवन, विशेष रूप से संवेदनशील पाचन तंत्र वाले लोगों में, दस्त का कारण बन सकता है।
- कुछ लोगों में त्रिफला चूर्ण से आंखों में लालिमा, त्वचा में खुजली, या मूत्र संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।
- चिंता और घबराहट कुछ लोग त्रिफला चूर्ण से अस्थायी रूप से चिंता और घबराहट का अनुभव कर सकते हैं।
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त्रिफला चूर्ण बनाने की विधि
सामग्री:- बड़ी हरड़ (बिना बीज)
- बहेड़ा (बिना बीज)
- आंवला (बिना बीज)
तीनों फल (बड़ी हरड़, बहेड़ा, और आंवला) को धूप में अच्छी तरह से सुखा लें। ध्यान दें कि फल स्वच्छ और बिना कीड़े लगे हों। सूखे हुए फलों से बीज निकाल दें। प्रत्येक फल का अलग-अलग बारीक चूर्ण बना लें (1 भाग हरड, 2 भाग बहेड़ा, 3 भाग आंवला) । बारीक छने हुए तीनों चूर्णों को 1:2:3 के अनुपात में मिला लें।
इस चूर्ण को आप एयरटाइट कंटेनर में ठंडी और सूखी जगर पर स्टोर करें।
त्रिफला चूर्ण किसे नहीं लेना चाहिए ?
- गर्भवती महिलाएं: त्रिफला चूर्ण गर्भावस्था में समस्याएं पैदा कर सकता है, इसलिए डॉक्टर की सलाह लेना आवश्यक है।
- मधुमेह रोगी: त्रिफला चूर्ण रक्त शर्करा के स्तर को प्रभावित कर सकता है, इसलिए मधुमेह रोगियों को डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।
- बच्चे: त्रिफला चूर्ण बच्चों के लिए सुरक्षित नहीं है, इसलिए डॉक्टर से सलाह लेना आवश्यक है।
- एलर्जी: यदि आपको त्रिफला चूर्ण से एलर्जी है, तो इसका सेवन न करें।
- दवाएं: यदि आप कोई अन्य दवाएं ले रहे हैं, तो त्रिफला चूर्ण लेने से पहले डॉक्टर को बताएं।
त्रिफला चूर्ण स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है, लेकिन इसका सेवन सावधानी पूर्वक करना चाहिए। यदि आपको कोई स्वास्थ्य समस्या है, तो त्रिफला चूर्ण लेने से पहले वैद्य की सलाह अवश्य प्राप्त कर लें और आहार विहार का पूर्ण ध्यान रखें। उचित व्यायाम करें सुबह शाम को टहलने जाएँ।
त्रिफला की सही खुराक और उपयोग का समय
त्रिफला चूर्ण पोषण देता है और विरेचक भी है जो पेट साफ़ करता है। इस चूर्ण को आप वैद्य की बताई गई मात्रा के अनुसार ही करना चाहिए। सामान्य रूप से एक चम्मच को रात्री को भोजन के उपरान्त गर्म पानी से लिया जाना चाहिए। आयुर्वेद, प्राचीन भारतीय चिकित्सा पद्धति, प्राकृतिक उपचारों का खजाना है, और उनमें से "त्रिफला" के नाम से जाना जाने वाला त्रिकूट चमकता है। यह शक्तिशाली संयोजन तीन फलों - आंवला, हरितकी और बिभीतकी से मिलकर बना है, जिनमें से प्रत्येक के स्वास्थ्य लाभ अद्वितीय हैं।आपको ये पोस्ट पसंद आ सकती हैं
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Author - Saroj Jangir
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